लोकसभा चुनावों की आसन्न बेला में उत्तराखण्ड में छात्र संघों के नतीजों में नया ट्रेंड देखने में आया है. राज्य में डिग्री कालेज छात्र संघ चुनावों में अध्यक्ष पद के चुनाव में निर्दलियों ने अपना परचम फहराया. वाम संगठनों समेत छात्रों के स्थानीय संगठनों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है. सबसे ज्यादा 37 अध्यक्ष पद निर्दलीय और छोटे संगठनों के खाते में आए हैं. देर रात तक आए 84 कालेज के चुनाव नतीजों में 31 कालेज में एबीवीपी के प्रत्याशियों ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की. जबकि, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) महज 09 कालेज में सिमट कर रह गई. लोकसभा और विधानसभा के चुनावों की ही तरह छात्र संघ के चुनावों को भी अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लेने वाले राजनीतिक दलों के लिए यह नतीजे हैरान, परेशान करने वाले हैं.
कुमाऊं में सबसे ज्यादा निर्दलीय जीते
राज्य में पहली बार एक साथ हुए छात्र संघ चुनाव में कुमाऊं विश्वविद्यालय के दो परिसरों और 40 डिग्री कॉलजों में शनिवार को हुए छात्रसंघ चुनाव में निर्दलीयों का दबदबा स्पष्ट तौर पर दिखाई दिया. कुल 42 स्थानों पर हुए चुनाव में 21 कॉलेजों में अध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई. 13 कालेजों में अध्यक्ष की सीट जीत एबीवीपी दूसरे स्थान पर रही. वहीं एनएसयूआई को सिर्फ 6 कॉलेजों में सफलता मिली.
नतीजों में पिथौरागढ़ में आठ कालेजों में से निर्दलीय प्रत्याशियों ने दो, एबीवीपी ने चार और एनएसयूआई ने दो सीटें जीतीं हैं. चम्पावत स्थित पांच कॉलेजों में से निर्दलीय तीन, एबीवीपी दो में विजयी रही। अल्मोड़ा स्थित दस कालेजों में पांच में निर्दलीय, दो-दो में एबीवीपी और एनएसयूआई ने जीत दर्ज की। भतरौंजखान में अध्यक्ष पद पर चुनाव नहीं हुआ. बागेश्वर स्थित तीनों कॉलेजों में निर्दलीय विजयी रहीं। ऊधमसिंह नगर अब तक मिले परिणाम में चार कालेजों में निर्दलीय, दो में एनएसयूआई और एक में एबीवीपी विजयी रही. हल्द्वानी में अध्यक्ष की कुर्सी एबीवीपी ने कब्जाई. अब तक चार कॉलेजों में निर्दलीय, चार में एबीवीपी और एक में एनएसयूआई विजयी रही.
गढ़वाल में एबीवीपी और निर्दलियों का दबदबा
उधर गढ़वाल मंडल में एनएसयूआई की सबसे बुरी गत हुई। 42 कालेज के अध्यक्ष पद के चुनाव में 19 एबीवीपी, तीन एनएसयूआई प्रत्याशी से विजयी रहे. जबकि स्थानीय संगठन और निर्दलीयों ने 17 कालेज में अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की. गढ़वाल में सतपुली कालेज का चुनाव टाई हो गया है. जबकि दून के डीएवी कालेज का रिजल्ट आज होने वाली मतगढ़ना के बाद आयेगा.
वैसे तो छात्र संघ के चुनावों में हुए मतदान से लोकसभा, विधानसभा चुनावों में मतदान के रुझानों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता, लेकिन इनसे युवाओं कि मनःस्थिति का अंदाजा तो लगता ही है. आजकल विधायक, सांसद मंत्री तक इन चुनावों में सीधे हस्तक्षेप करते देखे जा सकते हैं. भाजपा कांग्रेस ने कॉलेज परिसर को चुनावी अखाड़ा बना डाला है. छात्रसंघ चुनावों ने इन दोनों ही पार्टियों के लिए खतरे की घंटी तो बजायी ही है.
इन छात्र संघ चुनावों में युवाओं का एक स्वस्थ रुझान भी दिखाया दिया है. दलितों, पिछड़ी जातियों के प्रत्याशियों का,कम महत्त्व की सीटों पर ही सही, खाता खुला है. गौरतलब है कि छात्र संघ चुनावों में भी अन्दर खाने धर्म, जाति व क्षेत्र का कार्ड खेला जाता रहा है. इस दफा छात्रों ने कुछ जगह एक नयी शुरुआत की है.
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