एक त्रिशूल की आंखिन देखी
मैं, अर्थात गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर के प्रांगण में स्थित त्रिशूल, आँखिन देखी अपनी कथा सुनाकर जी हल्का करना चाहता हूँ. त्रिशूल का देखा हुआ अर्थात त्रिशूलन देखी. (Tragedy of Trishul Temple G... Read more
ऐपण कला की उम्मीद पिथौरागढ़ की निशा पुनेठा
उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति के विलुप्त हो जाने की आशंका के बीच कई युवा अपने जिद्दी इरादों के साथ इस कुहासे को लगन के साथ हटाते दिखाई देते है. उनके इरादे बताते हैं कि ऐसा मुमकिन नहीं. उनके रहते... Read more
पलायन का असर उत्तराखण्ड पंचायत चुनावों पर भी
पलायन का असर उत्तराखण्ड के ग्राम पंचायत चुनावों में साफ़ दिखाई दे रहा है. कई ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी तक नहीं मिल रहे हैं. दैनिक हिन्दुस्तान की रपट के आंकड़े चौंकान... Read more
पिछले छः दशक से भी अधिक समय से रामलीलाओं में तबला वादक के रूप में भागीदारी कर रहे मनोहर लाल मास्साब, भवाली के लिए कोई अनजान चेहरा नहीं हैं. मुक्तेश्वर के पास सुनकिया के गांव से भवाली तक का उ... Read more
ब्रह्मपुर चौथी व छठी-सातवीं शताब्दी के मध्य में उत्तराखण्ड के पर्वतीय राज्य की राजधानी हुआ करती थी. इतिहासकारों के अनुसार गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद उत्तरी भारत में पैदा हुए छोटे-छोटे राज... Read more
अमीषा चौहान: एवरेस्ट समेत तीन महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियां फतह करने वाली उत्तराखण्ड की बेटी
कभी-कभी ऐसा लगता है कि जीवन में आप खुद को जिस मकसद के लिए तैयार कर रहे थे वह आपकी जिंदगी को मायने नहीं दे पायेगा. ऐसा सभी की जिंदगी में होता है लेकिन सालों की मेहनत को छोड़कर किसी नए गोल के... Read more
‘शापिंग मॉल्स’ पर निरन्तर बढ़ती चहलकदमी और गली, नुक्कड़ों के बाजारों में पसरता सन्नाटा यह बताने के लिए क्या पर्याप्त संकेत नहीं है कि हम कहां जा रहे हैं? कस्बों और शहरों के छोटे-... Read more
भगवान विष्णु का सबसे प्राचीन मंदिर और मनमोहक छटाओं से भरपूर सिलपाटा गांव
ऐसी मान्यता है कि बद्रीनाथ दर्शन से पहले आदिबद्री के दर्शन करने चाहिये. आदिबद्री मतलब भगवान विष्णु का सबसे प्राचीन मंदिर जिसे उनकी तपस्थली भी कहा जाता है. उत्तराखंड के चमोली जिले में कर्णप्र... Read more
अपनी विशिष्ट लोक परम्पराओं से उत्तराखंड के लोग अपने समाज को अलग खुशबू देते हैं. शायद ही ऐसा कोई महिना हो जब यहां के समाज का अपना कोई विशिष्ट त्यौहार न हो. ऐसा ही लोकपर्व आज घी त्यार या घ्यूं... Read more
बलि का बकरा – देवेन मेवाड़ी की कहानी
कहानी की कहानी उर्फ़ बकरा बलि का ईजा (मां) बीमार थी. उसका बहुत मन था कि देबी खूब पढ़े हालांकि वह कभी स्कूल नहीं गई थी. उसने प्रकृति की किताब पढ़ी थी और मुझे अपनी भाषा में पेड़-पौधों और प्राणि... Read more
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