“ऊपर की ओर देखा तो सामने सागरमाथा की चोटी थी. मन में हिलोर सी उठी कि दौड़ कर जाऊं और सागरमाथा मां के चरण छू उनसे आशीर्वाद लूँ. पूछूँ उनसे कि माँ अब तक तुम कहाँ थी? आज अभी वह दिन आया जब... Read more
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