भगत सिंह (28 सितम्बर 1907 से 23 मार्च 1931) हाल ही की बात है, मेरा एक दोस्त दिल्ली से आया था. उसने शहर पहुंचने के बाद पता जानने के लिए मुझे फोन किया. उसने बताया कि वह चौराहे पर एक बड़े से बुत... Read more
खुद में ही पूरा बैंड हैं उत्तराखण्ड के दीप रजवार
रामनगर में रहने वाले युवा दीप रजवार एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के तौर पर अच्छा नाम रखते हैं. कॉर्बेट पार्क से जुड़ी उनकी तस्वीरें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. फोटोग्राफर... Read more
अमीषा चौहान: एवरेस्ट समेत तीन महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियां फतह करने वाली उत्तराखण्ड की बेटी
कभी-कभी ऐसा लगता है कि जीवन में आप खुद को जिस मकसद के लिए तैयार कर रहे थे वह आपकी जिंदगी को मायने नहीं दे पायेगा. ऐसा सभी की जिंदगी में होता है लेकिन सालों की मेहनत को छोड़कर किसी नए गोल के... Read more
काली कुमाऊँ के देवीधूरा की बग्वाल
काली कुमाऊँ के देवीधूरा में रक्षा बंधन (श्रावणी पूर्णिमा) के दिन बग्वाल (पत्थर युद्ध) खेले जाने की परंपरा है. इससे पहले परंपरा के अनुसार श्रावण शुक्ल एकादशी के दिन बग्वाल यूद्ध में भाग लेने... Read more
देवीधूरा से 2019 के बग्वाल की तस्वीरें
कोरोना महामारी के चलते देवीधूरा में विख्यात बग्वाल का आयोजन नहीं होगा. हर साल रक्षाबंधन के दिन होने वाली बगवाल इस बार तीन अगस्त को होनी है, लेकिन कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए 28... Read more
पहाड़ों का मतलब एक अदद प्लाट और लड़की ही क्यों?
मोदी सरकार द्वारा कश्मीर से धारा-370 हटाने के बाद सोशल मीडिया में ढेरों चुटकुलों की बाढ़ आ गयी. जिस बात को सबसे ज्यादा कहा जा रहा है वह यह है कि अब गैर कश्मीरी भी कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे... Read more
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से कुछ तस्वीरें
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के नैनीताल जिले में है. 1936 में इस पार्क की स्थापना हेली नेशनल पार्क के नाम से बंगाल टाइगर के संरक्षण के उद्देश्य से की गयी थी. बाद में... Read more
कबूतरी देवी – (1945 से 07 जुलाई 2018) आज कबूतरी देवी जिंदा होती तो? बीमारी की वजह से अस्पताल के चक्कर काट रही होतीं, उनके परिजन मिन्नतें कर रहे होते. संस्कृति विभाग से मिलने वाली मामूल... Read more
हम सब अपने आमा-बुबुओं के अपराधी हैं
ज्यादातर भारतीय घरों में बूढ़े-बुजुर्गों का सम्मान नहीं किया जाता. सम्मान तो छोड़ो उन्हें 2 वक़्त का भोजन तक इंसानी गरिमा के साथ नसीब नहीं होता. बूढों के नाम संपत्ति होने पर उनसे छल-छद्म कर... Read more
जैसे-जैसे आप पहाड़ चढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे ढाबों, भोजनालयों, रेस्टोरेंट्स का आकार छोटा होता जाता है. न सिर्फ उनका आकार बल्कि मैन्यू भी पहाड़ चढ़ते हांफ जाता है. दुर्गम क्षेत्रों में तो सब क... Read more
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