व्यंग्य के लिये विषय की खोज
आज सुबह-2 फोन पर जो ख़बर मिली उसे सुन कर हम खुशी से फूले न समाये. फोन एक बहुत बड़े पत्रकार-लेखक-विचारक का था, जिन्हें हम अपना गुरु मानते हैं और प्रेम से ‘दादा’ कहते हैं. यदि किसी व्यक्ति को ना... Read more
तूतू – मैंमैं
‘आखिर हुआ क्या?’ ‘होना क्या था? वो हमें बाज़ार में मिले. हमे बहुत जाने-पहचाने से लगे.’ ‘फिर?’ ‘हम भी उन्हें बहुत जाने पहचाने से लगे. वो हमे पहचानने क... Read more
व्यंग्य का जन्म किस प्रकार होता है?
कल एक मित्र का फोन आया. मित्र मुम्बई में हैं, और अभिनय के क्षेत्र में अपना नाम कमा रहे हैं. वैसे तो मित्रों के फोन आते रहते हैं, परन्तु ये फ़ोनकॉल विशेष थी. ये फोनकॉल, मुझ लेखक के लेखन की प्र... Read more
भाई साहब! मैं बाल कवि नहीं हूँ!
उसका वहां होना, जहां उसे नहीं होना चाहिये था, स्वयं में एक घटना थी. सभागृह- प्रेक्षागृह, वाचनालय- पुस्तकालय, विश्वविद्यालय-मदिरालय, ऐसे न जाने कितने आलयों में वह निरन्तर जाता रहा था. कहते है... Read more
उस कक्ष में पांच कर्मचारी उपस्थित थे- तीन पुरुष और दो महिलायें. सभी कुछ देर पहले ही अपने-अपने स्थानों पर आकर बैठे थे. शासकीय भाषा में कहें तो मध्याह्न पूर्व का समय था. कक्ष में -ज़मीन पर, टेब... Read more
एक अप्रैल की ताजा खबरें – 1. अमेरिका और चीन ने कहा है कि वे निशस्त्रीकरण की दिशा में मिलकर प्रभावी क़दम उठाएंगे. (हमाऔ नाम और लिख लियो !- रूस ने कही) 2. राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि अमेर... Read more
‘सौंदर्य की कविता’ और ‘कविता का सौंदर्य,’ दोनों ही महत्वपूर्ण हैं. परन्तु इन दोनों से भी अधिक महत्वपूर्ण है- सौंदर्य के द्वारा लिखी गई कविता. सौंदर्य के द्वारा लिखी ग... Read more
सड़क को सड़क नहीं, अपना घर समझो
वे पुलिस के बड़े अधिकारी थे और हमारे बचपन के मित्र भी. कल जब वे बहुत दिन बाद शहर आये तो हम दोनों बाइक से शहर घूमने निकले. रास्ते में एक जगह पुलिस चैकिंग हो रही थी. वे ज़ोर से चिल्लाए – ‘अबे रो... Read more
सभी की अपनी चुनौतियां है और सभी के अपने संघर्ष. पर कुछ संघर्ष विरले होते हैं. कठिनतम से भी कठिन. पिछले कुछ समय में पत्र-पत्रिकाओं, टेलीविज़न, मोबाइल पर अनेक लोगों के साक्षात्कार या उनके जीवनव... Read more
हनुमान चौराहे का प्रेमालाप
ग्वालियर शहर की एक पुरानी सड़क, जिसका नाम नई सड़क था, के एक प्रसिद्ध चौराहे पर वो उसका इंतज़ार कर रहा था. इसे संयोग कहें या विडम्बना; उस चौराहे का नाम हनुमान चौराहा था. शायद ये कलयुग के घोर से... Read more
Popular Posts
- बुद्ध ने आनंद को वेश्या के पास क्यों जाने दिया
- छिपलाकोट अंतरकथा : जिंदगानी के सफर में, हम भी तेरे हमसफ़र हैं
- शराब पीने में उत्तराखंड के पुरुष अव्वल
- कोतवाल के हुक्के की एफआईआर
- उत्तराखंड के वीर कफ्फू चौहान की गाथा
- केदारनाथ में पहले 4 दिन में 80000 श्रद्धालु
- कफल्टा हत्याकांड को याद किया जाना आज भी क्यों जरूरी है
- आठवीं का बोर्ड, चेलपार्क और हरित क्रांति
- दूध का दाम : प्रेमचन्द
- लोक कथा : दयामय की दया
- 1992 में हटाये गए अतिक्रमणों को लम्बे समय तक याद रखा हल्द्वानी शहर ने
- पहाड़ियों के प्यारे काफल के सेहतमंद फायदे
- बद्री क्षेत्र में निवास करते हैं पंच बद्री
- अल्मोड़ा में दलित दूल्हे को सवर्णों ने जबरन घोड़ी से उतारा
- अमरीकी नस्लवाद बनाम भारतीय जातिवाद
- सानन थैं पधान हो कयो, रात्ति में बांगो
- ईद की सिवईं में और ज्यादा मिठास घोलने वाली खबरें
- लोक कथा : श्राद्ध की बिल्ली
- चीड़ के वनों से जुड़ी कुछ भ्रांतियाँ और तथ्य
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा: उसके इशारे मुझको यहाँ ले आए
- अल्मोड़ा अंग्रेज आयो टैक्सी में
- केदारनाथ : मान्यताएँ व स्वरूप
- लोकगायिका वीना तिवारी को ‘यंग उत्तराखंड लीजेंडरी सिंगर अवार्ड’ से नवाजा गया
- द्वाराहाट का चालाक बैल
- छिद्दा पहलवान वाली गली: शैलेश मटियानी की कहानी