1920 के दशक में पिथौरागढ़ की बाजार में केवल तीस-बत्तीस दुमंजिले मकान हुआ करते थे. इन घरों के निचली मंजिल पर छोटी-छोटी दुकानें हुआ करती थी. सिमलागैर से नीचे आज जिसे हम पुराना बाजार या सुनार गल... Read more
आप पिथौरागढ़ में केमू स्टेशन से नीचे सिनेमा लाइन की ओर बड़ रहे हैं और तभी पीछे से कोई हल्की सी आवाज में नजर चुराकर आपसे कहे दाज्यू फर्स्ट क्लास का टिकट लोगे फर्स्ट क्लास का. यह किसी कल्पना का... Read more
पिथौरागढ़ शिक्षक-पुस्तक आन्दोलन के समर्थन में कल दिल्ली के जंतर मंतर पर एक मार्च निकाला गया. आज पिथौरागढ़ में हो रहे शिक्षक-पुस्तक आन्दोलन का आज 29वां दिन है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आख... Read more
पर्वतारोहियों की मृत्यु की सूचना सम्मानपूर्वक दे सकने तक का समय नहीं है पिथौरागढ़ जिला प्रशासन के पास
28 जून के दिन का यह पोस्ट पिथौरागढ़ जिला प्रशासन के फेसबुक पेज का है. यह पोस्ट हाल ही में नंदा देवी में आठ पर्वतारोहियों की मृत्यु से संबंधित है. नंदा देवी में हुई इस दुखद घटना के बाद जिला प्... Read more
उत्तराखंड में इन दिनों भिटौली का महीना है. इस महीने भाई अपनी बहन या पिता अपनी पुत्री को भिटौली देते हैं. भिटौली के विषय में अधिक इस लेख में पढ़िए. भै भुको, मैं सिती : भिटौली से जुड़ी लोककथा इस... Read more
Popular Posts
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध