इस तरह सिंगापुर पहुंचा उत्तराखण्ड का ऐपण आर्ट
कुमाऊं की ऐपण आर्टिस्ट हेमलता कबडवाल ‘हिमानी’ ऐपण कला में अपने अद्भुत प्रयोगों के लिए जानी जाती हैं. हिमानी ऐपण कला के क्लासिक स्वरूप को बनाये रखते हुए नए प्रयोगों से ऐपण को लोकप्रिय बनाने क... Read more
उत्तराखण्ड की लुप्त होती पारंपरिक लोककलाओं के दौर में ही ऐपण के अच्छे दिन चल रहे हैं. कुमाऊं की चित्रकला ऐपण के गांवों से शहरों, कस्बों और महानगरों तक पैर पसारने का सिलसिला चल निकला है. हेमल... Read more
बेतालघाट में हेमलता की ऐपण वर्कशॉप
उत्तराखण्ड की ऐपण आर्टिस्ट हेमलता कबडवाल के निर्देशन में 10 दिन की ऐपण वर्कशाप का आयोजन बेतालघाट में किया गया. बेतालेश्वर सेवा संगठन द्वारा विकास भवन बेतालघाट में आयोजित इस प्रतियोगिता में आ... Read more
इस दिवाली हेमलता की ऐपण थाली
हल्द्वानी से भवाली होते हुए एक पक्की सड़क श्यामखेत से गुजरते हुए रामगढ़ के लिए चली जाती है. बहुत कम शोर और ट्रैफिक वाली इस सुनसान सड़क पर श्यामखेत के चाय बागानों को पीछे छोड़ने के कुछ समय बा... Read more
ऐपण उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल की बहुप्रचलित लोककला है. कुमाऊँ के हर घर की महिलाएं मांगलिक अवसरों पर इसे सदियों से बनाती हैं. कुमाऊँ की हर महिला एक ऐपण आर्टिस्ट है कहा जाए तो गलत नहीं होगा. व... Read more
हेमलता कबडवाल ‘हिमानी’ उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में मुक्तेश्वर के एक गाँव सतोल की रहने वाली हैं. कुमाऊं के सभी बच्चों की तरह हिमानी भी ऐपण देखते हुए बड़ी हुई और जल्द ही इस पर हाथ भी आजमाने... Read more
अभिलाषा पालीवाल के ऐपण कला में अद्भुत प्रयोग
हल्द्वानी में रहने वाली अभिलाषा पालीवाल की ऐपण कला पारंपरिक ऐपण कला और आधुनिक पेंटिंग का अद्भुत सम्मिश्रण हैं. देहरी और दीवारों के अलावा भी अभिलाषा की कल्पना की उड़ान ऐपण कला को नया आसमान दे... Read more
ऐपण कला की उम्मीद पिथौरागढ़ की निशा पुनेठा
उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति के विलुप्त हो जाने की आशंका के बीच कई युवा अपने जिद्दी इरादों के साथ इस कुहासे को लगन के साथ हटाते दिखाई देते है. उनके इरादे बताते हैं कि ऐसा मुमकिन नहीं. उनके रहते... Read more
Popular Posts
- संवरेगी कुमाऊं की सबसे बड़ी बाखली
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : तू भी मिला आशा के सुर में मन का ये एकतारा
- गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी का पहला स्थान
- ‘बेडू पाको’ की धुन के साथ शुरु हुआ बीटिंग रिट्रीट समारोह
- यूं ही कोई पहाड़ी अपना घर नहीं छोड़ता
- उत्तराखण्ड का वह गाँव जहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त एक दिन में दो बार होता है
- कहानी : पेन पाल
- पहाड़ी ऐसे मनाते हैं बंसत पंचमी
- गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगा छोलिया नृत्य
- दो गज जमीन
- क्या सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु देहरादून में हुई
- टनकपुर-पिथौरागढ़ ऑल वैदर रोड पर बिताई दो रातें
- नेताजी को उत्तराखंडी जांबाजों पर था सबसे ज्यादा भरोसा
- एक महान सपने को साकार होते देखने की चित्र गाथा है ‘परेड ग्राउण्ड टू लैंसडाउन चौक‘
- बसंत हमारी आत्मा का गीत और मन के सुरों की वीणा है
- जोशीमठ के पहाड़
- जोशीमठ की पूरी कहानी
- न जाने पहाड़ के कितने परिवारों की हकीकत है शंभू राणा की कहानी ‘बेदखली’
- जब हिन्दी फिल्मों में पहाड़ी लोकगीतों की धुनों का इस्तेमाल होता था
- टनकपुर किताब कौथिग का दूसरा दिन
- राजा-पीलू की जोड़ी
- हल्द्वानी की जामा मस्जिद और अब्दुल्ला बिल्डिंग का इतिहास
- 1985 में पौड़ी गढ़वाल पर लिखा एक महत्वपूर्ण लेख
- उतरैणी कौतिक बागेश्वर की तस्वीरें
- घरों में आदमी नहीं अब दरारें हैं