आज विश्व साइकिल दिवस है
मानव इतिहास की सबसे बड़ी खोजों में से एक खोज रही है पहिये का आविष्कार. पहिये की खोज ने मनुष्य के जीवन को इतना सुगम बना दिया है कि यदि सात समुद्र पार किसी देश में जाना हो तो पहिये के सहारे रन... Read more
आब ओढ़ तै चशमः पहाड़ी बुबू की हाज़िर जवाबी
परकास दिल्ली की एक कंपनी में मैनेजर के तौर पर काम करने लगा था. परिवार चंपावत के लोहाघाट में ही रहता था और परकास पिछले कुछ सालों से अकेला दिल्ली में. ईजा-बाबू ने परकास की अकेली ज़िंदगी के पहि... Read more
ध्यानपुर का प्राचीन नंदीश्वर महाराज मंदिर
ऊधम सिंह नगर ज़िले के नानकमत्ता क़स्बे से मात्र 6-7 किलोमीटर दूर ध्यानपुर गाँव में स्थित है श्री नंदीश्वर दरबार मंदिर जो कि भगवान शिव के वाहन नंदी महाराज को समर्पित है. इस मंदिर को क्षेत्र क... Read more
नानकमत्ता का दीपावली मेला 2021: फोटो निबंध
पिछले साल कोरोना महामारी के चलते नानकमत्ता का दीपावली मेला अपने इतिहास में शायद पहली बार नहीं लग पाया था. इस साल प्रशासन ने मेला लगाने की इजाजत दी जिसके कारण लोगों में उत्साह अधिक है. 8-10 द... Read more
दर्दभरी खूबसूरत कहानी ‘सरदार उधम सिंह’
माइकल ओडॉयर को गोली मारने के बाद उधम सिंह को ब्रिटिश जेल में जिस तरह की यातनाएँ दी गई उसके बारे में सोचकर भी किसी की रूह काँप जाए लेकिन उधम सिंह मानो मौत का कफन बाँधकर ही ओडॉयर को मारने ब्रि... Read more
हनोल स्थित ‘महासू देवता’ का मंदिर: फोटो निबंध
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर हनोल में स्थित है महासू देवता का मंदिर. हिमाचल बॉर्डर के पास स्थित इस मंदिर पर न सिर्फ उत्तराखंड के जौनपुर-बावर व रवांई घाटी के... Read more
सावन की बारिश में श्रीनगर: फोटो निबंध
सावन का मौसम, लगातार रिमझिम बरसती बारिश, पहाड़ी घाटियों में तैरते बादल और खुशनुमा मौसम के बीच एक परफ़ेक्ट कैमरा शॉट के लिए लालायित मैं, कुछ दोस्तों के साथ श्रीनगर से 4-5 किलोमीटर ऊपर बरियारग... Read more
उत्तराखंड में मानसून ने दो हफ़्ते पहले ही दस्तक दे दी है. मौसम का मिजाज ग्रीष्म ऋतु के इन पूरे महीनों में बदला रहा. जहाँ एक ओर पहाड़ के ऊपरी हिस्सों में बर्फबारी के साथ-साथ लगातार बारिश हो र... Read more
विश्व पर्यावरण दिवस और उत्तराखंड
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को धूमधाम से मनाया जाता है और वह धूमधाम ऐसी है कि जो आजकल सोशल मीडिया तक ही सिमट कर रह गई है. पर्यावरण के प्रति हमारी चिंताएँ कितनी गहरी हैं यदि यह जानना हो... Read more
बचपन में ईजा-आमा संग यादें
उन दिनों बच्चों के हाथों में रखे जाने के लिए रूपयों से ज़्यादा पैसे प्रचलन में थे. दस, बीस, पच्चीस व पचास पैसे अमूमन घर आए मेहमान वापसी के समय बच्चों के हाथों में टॉफी-बिस्कुट खाने के लिए रख... Read more
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