उत्तराखण्ड के बेरीनाग के नजदीक त्रिपुरादेवी नामक एक छोटे से गाँव में कोई पच्चीस सालों से रह रहे दंपत्ति रजनीश और रश्मि ने अपने हौसले, जिद और अथक मेहनत से अवनि जैसी सफल संस्था को खड़ा किया है.... Read more
झलतोला हिमालय का करीबी दोस्त है
पिथौरागढ़ के बेड़ीनाग कस्बे से एक गुमनाम गाँव झलतोला के लिए कच्ची-पक्की सड़क जाती है. इस सफ़र पर आगे बढ़ते हुए हिमालय आपके साथ लगातार चलता रहता है. झलतोला से एक पगडण्डी आपको लम्ब्केश्वर की पहाड़ी... Read more
विनोद कापड़ी को जानिये
उत्तराखंड के बेरीनाग इलाके से ताल्लुक रखने वाले विनोद कापड़ी की नई फिल्म ‘पीहू’ इसी महीने रिलीज़ होने वाली है. भारत में रिलीज होने से पहले यह फिल्म वैंकूवर इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, पाम स्प्र... Read more
गौरैया बचाने की मुहिम
..क्या आपने ख़्याल किया है कि लगातार आपके इर्द-गिर्द गौरैया की तादाद घटती जा रही है? आप याद करें आपने कब से गौरैया नहीं देखी? शायद आंगन में बैठे अब गौरैया उस तरह आसानी से आपको नहीं दिखाई... Read more
Popular Posts
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध