Home Baba Nagarjun
पहाड़ और मेरा जीवन – 65 (पिछली क़िस्त: वो मेरा ‘काटो तो खून नहीं’ मुहावरे से जिंदा गुजर जाना तेरी बज्म से उठते हुए डर लगता है, ये शहर मुझे अपना घर लगता हैहरेक उसकी आंख में डूबने को है आतुर,... Read more
बाकी बच गया अण्डा
Posted By: Kafal Treeon:
बाकी बच गया अण्डा – नागार्जुन पाँच पूत भारतमाता के, दुश्मन था खूँखार गोली खाकर एक मर गया, बाक़ी रह गए चार चार पूत भारतमाता के, चारों चतुर-प्रवीन देश-निकाला मिला एक को, बाक़ी रह गए तीन... Read more
सपने में भी सच न बोलना, वर्ना पकड़े जाओगे
Posted By: Kafal Treeon:
बाबा नागार्जुन की एक पुरानी कविता (Poem of Baba Nagarjun) सच न बोलना मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को,डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को!जंगल में जाकर देखा, नहीं एक भी बांस दि... Read more
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