अमला शंकर खामोशी से इस दुनिया से विदा हो गईं
अपने होने वाले पति यानी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के नर्तक उदयशंकर से हुई पहली मुलाक़ात को याद करते हुए अमला शंकर ने अपने संस्मरण ‘प्रेम का देवता’ में लिखा है:“जिन-जिन कारणों से विदेशी भूमि में... Read more
किसी समय एक चूहा रहता था जिसकी एक बहुत सुन्दर विवाहयोग्य कन्या थी. चूहा बहुत महत्वाकांक्षी था और अपनी सामाजिक हैसियत ऊंची करने के लिए अपनी पुत्रे का विवाह संसार के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के... Read more
हिमालयी लोकगाथाओं में कृष्ण को नागों का राजा अर्थात नागराज कहा जाता है. कृष्ण के जन्म और बचपन को लेकर अनेक गीत गाये जाते हैं. Birth of Devki Kumaoni Folk Myth ऐसे ही एक गीत का सार नीचे दिया... Read more
एक बार एक आदमी की एक पत्नी थी. आदमी उससे नाराज था. उसने खुद से कहा, “अगर मैं एक पत्थर को भी तोडूं तो मुझे दो पत्थर मिलते हैं लेकिन अपनी बीवी से मुझे कुछ नहीं मिलता. वह बेवकूफ और बेकार है.” ऐ... Read more
प्रेत और उसका बेटा – कुमाऊनी लोककथा
बहुत समय पहले की बात है. एक आदमी की मृत्यु हो गयी. उसका 10-12 साल का एक ही बेटा था. The Ghost and his Son जब उस आदमी के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया जा रहा था, उसके बेटे ने... Read more
मूसा सौन और पंचू ठग की कुमाऊनी लोककथा
बहुत समय पहले बमौरा नाम का एक गाँव था जहाँ के निवासी बहुत संपन्न थे. उस गाँव के पड़ोस में एक लुटेरा डाकू रहता था जिसका नाम पंचू ठग था. उसने आसपास के गाँवों की महिलाओं को आतंकित कर रखा था – व... Read more
लोमड़ और तीतर की पक्की दोस्ती की कथा
एक लोमड़ की एक तीतर से दोस्ती हुई. एक बार लोमड़ ने कहा कि उसे भूख लगी है और उसे खाना चाहिए. तीतर एक घराट (पनचक्की) के दरवाजे पर गया और वहां जाकर उसने अपने पंख फड़फड़ाए. घराट का मालिक चक्की प... Read more
कल हमने आपको कुमाऊँ और पश्चिमी नेपाल की लोककथाओं पर आधारित ई. शर्मन ओकले और तारादत्त गैरोला की 1935 में छपी किताब ‘हिमालयन फोकलोर’ से एक कहानी पढ़वाई थी – बहादुर पहाड़ी बेटा और दुष... Read more
बहादुर पहाड़ी बेटा और दुष्ट राक्षसी की कथा
ई. शर्मन ओकले और तारादत्त गैरोला की 1935 में छपी किताब ‘हिमालयन फोकलोर’ में कुमाऊँ और पश्चिमी नेपाल की लोककथाओं का विशाल संग्रह पढ़ने को मिलता है. Kumaoni Folklore by Oakley and Gairola इस प... Read more
“और डियर तू तो इंग्लैण्ड जाणी वाल छै बल” – इस ज़रा से कुमाऊनी वाक्य के विन्यास में सबसे ज़रूरी शब्द है – “बल”. यानी इस वाक्य को जो आदमी कह रहा है उसने किसी से सुना है कि सुनने वा... Read more
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