शेखर जोशी की कहानी ‘गलता लोहा’
मोहन के पैर अनायास ही शिल्पकार टोले की ओर मुड़ गए. उसके मन के किसी कोने में शायद धनराम लोहार के आफर की वह अनुगूँज शेष थी जिसे वह पिछले तीन-चार दिनों से दुकान की ओर जाते हुए दूर से सुनता रहा... Read more
हर गांव में एक न एक मोहन दा जरूर होता है
मैंने मोहनदा को होश सँभालने के साथ-साथ देखा था. जैसे गाँव के अन्य दूसरे लोगों को देखा जाता है, पहचाना जाता है. बचपन में उनके प्रति मन में एक विचित्र भय-मिश्रित स्नेह रहा था. ऐसी भावना शायद औ... Read more
कोसी की सुसाट-भुभाट में पीछे पड़े एक अलच्छन ने पिरदा की बोलती हमेशा के लिये बंद कर दी
“मुक़र्रर (मुकद्दमे) की तारीख़ पड़ी थी पंद्रह, सोलह को यहाँ रेंजर सैप आने वाले थे. कचहरी में ही शाम हो गई. मैंने पिरदा से कहा-लौट चलते हैं घर, रात-बिरात पहुँच ही जाएँगे. अँधेरी रात थी,... Read more
शेखर जोशी की कालजयी कहानी ‘दाज्यू’
दाज्यू -शेखर जोशी चैक से निकलकर बाईं ओर जो बड़े साइनबोर्ड वाला छोटा कैफे है वहीं जगदीश बाबू ने उसे पहली बार देखा था. गोरा-चिट्टा रंग, नीला श़फ्फ़ाफ़ आँखें, सुनहरे बाल और चाल में एक अनोखी मस्... Read more
पहाड़ की क्लासिक प्रेमकथा : कोसी का घटवार
शेखर जोशी का जन्म 10 सितंबर 1932 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में जन्म हुआ. अनेक सम्मानों से नवाजे जा चुके हिन्दी के शीर्षस्थ कहानीकारों में गिने जाने वाले शेखर जोशी के अनेक कह... Read more
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