भारतीय राजनीति में हेमवंती नंदन बहुगुणा को चाणक्य का दर्जा दिया जाता है. उन्हें दूरदर्शी, जनप्रिय नेता माना जाता है. उनके राजनीतिक विवेक के कायल विरोधी तक हुआ करते थे. वे आजादी के आन्दोलन की... Read more
तब इंदिरा गांधी से महिलाएँ बहुत प्रभावित थी
तब हम हल्द्वानी के गौरापड़ाव के हरिपुर तुलाराम गांव में ही रहते थे. मुझे हल्की सी याद अभी भी है कि तब युद्ध का समय था. रात में कई बार घर में बाबू कहते थे बाहर उजाला मत करो, नहीं तो दुश्मन के... Read more
1977 में मैं करीब दस साल का था. दो साल पहले जब इमरजेंसी लगी थी, हम लोग अल्मोड़ा में रहते थे. इमरजेंसी की सबसे ठोस स्मृति के तौर पर मुझे याद आता है कि हमारे पड़ोस में रहने वाले एक वकील साहब, जि... Read more
Popular Posts
- उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ
- जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया
- कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी
- पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद
- चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी
- माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम
- धर्मेन्द्र, मुमताज और उत्तराखंड की ये झील
- घुटनों का दर्द और हिमालय की पुकार
- लिखो कि हिम्मत सिंह के साथ कदम-कदम पर अन्याय हो रहा है !
- पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप
- डुंगरी गरासिया-कवा और कवी: महाप्रलय की कथा
- नेहरू और पहाड़: ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में हिमालय का दर्शन
- साधारण जीवन जीने वाले लोग ही असाधारण उदाहरण बनते हैं : झंझावात
- महान सिदुवा-बिदुवा और खैंट पर्वत की परियाँ
- उत्तराखंड में वित्तीय अनुशासन की नई दिशा
- राज्य की संस्कृति के ध्वजवाहक के रूप में महिलाओं का योगदान
- उत्तराखण्ड 25 वर्ष: उपलब्धियाँ और भविष्य की रूपरेखा
- आजादी से पहले ही उठ चुकी थी अलग पर्वतीय राज्य की मांग
- मां, हम हँस क्यों नहीं सकते?
- कुमाउनी भाषा आर्य व अनार्य भाषाओं का मिश्रण मानी गई
- नीब करौरी धाम को क्यों कहते हैं ‘कैंची धाम’?
- “घात” या दैवीय हस्तक्षेप : उत्तराखंड की रहस्यमयी परंपराएँ
- अद्भुत है राजा ब्रह्मदेव और उनकी सात बेटियों के शौर्य की गाथा
- कैंची धाम का प्रसाद: क्यों खास हैं बाबा नीम करौली महाराज के मालपुए?
- जादुई बकरी की कहानी
