उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील में अवस्थित सीमान्त व्यांस घाटी के पहले गाँव बूदी से गर्ब्यांग तक की दूरी कुल 9 किलोमीटर है. पिछले कोई पचास साल से इस गाँव को ‘धंसता हुआ गाँव’ की... Read more
सोमेश्वर घाटी में धान की रोपाई के फोटो
इन दिनों पहाड़ों में धान की रोपाई चल रही है. मानसून के आगमन में हुई देर के बावजूद कुमाऊँ-गढ़वाल के ग्रामीण इलाकों में धान रोपने का काम चल रहा है. (Paddy Sowing Someshwar Valley Uttarakhand) उत... Read more
चौकोड़ी की कुछ मनमोहक तस्वीरें
उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है चौकोड़ी. हिमालय के हृदयस्थल में घने जंगलों से घिरी यह छोटी सी बसासत एक समय कुमाऊँ के सबसे बड़े व्यवसायी दान सिंह मालदार की कर्मभूमि रही थी. प्रकृति... Read more
काफल एक नोस्टाल्जिया का नाम है
गर्मियों में पहाड़ों के वन प्रांतर जंगली फलों और बेरियों से लद जाते हैं. हिसालू, किलमौड़ा और घिंघारू की झाड़ियाँ क्रमशः नारंगी, बैजनी और चटख लाल फलों से भर जाती हैं. यह अलग बात है कि उन्हें खान... Read more
आदि बद्री मंदिर की तस्वीरें
कर्णप्रयाग से रानीखेत जाने वाले रास्ते पर 16 छोटे-छोटे प्राचीन मंदिरों का एक समूह है. यह मंदिर आदि बद्री मंदिर है जिसका प्राचीन नाम नारायण मठ कहा जाता है. पौराणिक मान्यता यह है कि भगवान विष्... Read more
नैनीताल के होली महोत्सव की तस्वीरें
रविवार 17 मार्च 2019 की दोपहर 1 बजे नयना देवी मंदिर के पटांगण में नैनीताल की सबसे पुरानी नाट्य संस्था युगमंच के 23वे होली महोत्सव की शुरूआत हो गयी. इस आयोजन में चम्पावत और गंगोलीहाट की होली... Read more
बिनसर की न भूलने वाली बर्फबारी
जादू है बिनसर (Binsar) में अल्मोड़ा से कुल तीस किलोमीटर दूर 2,420 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है बिनसर. यहाँ से हिमालय की जादुई छवियाँ देखने को मिलती हैं. प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान बिनसर व... Read more
कोसी कटारमल का सूर्य मंदिर
कोसी कटारमल के सूर्य मंदिर कैम्पस में खड़े होकर एक पत्थर जिसमें अजीब सी भाषा में कुछ लिखा हुआ है, की ओर इशारा करते हुए शम्भू राणा जी ने मुझसे कहा – ‘क्या तुम इस भाषा के बारे में कुछ जान... Read more
सर्दियों का बिनसर
सर्दियों की ऋतु हो और आप बिनसर में हों तो क्या कहने! बिनसर की शामों की सोने सी रोशनी, रात के आसमान में आकाशगंगा में तारों की बारात और सुबह का प्रफुल्लित कर देने वाला विशाल हिमालयी दृश्य, जंग... Read more
कैसे बनती हैं बरेली की मशहूर सेवइयां
बरेली के मठ लक्ष्मीपुर में इरफ़ान अली पिछले १५ सालों से अपने दो भाइयों नाज़िम और नौशाद के साथ मुक़द्दस माह-ए-रमज़ान और सावन में रोजादारों और भक्तों के लिए सेवइयां बनाते हैं. वे मैदे से इन से... Read more
Popular Posts
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध