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2 Comments

  1. गोपेन्द्र गंगवार

    यहीं तो है ,वतन पर मरने बालों का यहीं बाकी निशा होगा।
    क्या है निशा कोई हैं पूछने बाला आजाद भगत सुभाष की विचार धारा को, जो गाँधी गड़वाली जेसे चार लोग मिलने पर देश आजाद करवाने की बात करते हैं बही आवश्यकता पड़ने पर हाथ झाड़ अलग खड़े हुए। गाँधी भी नहीं चाहते थे कि उनके नाम के आगे कोई और नाम खड़ा हो। यहीं मसला भगत सिंह और उनके साथियों के फाँसी के समय था पूरा देश चाहता था कि गाँधी अग्रेंज सरकार से बात करे लेकिन गाँधी को महान बनना था

  2. हिमांशु रौतेला

    दुखद है हमारे भारतीय होने पर,
    कैसे इतने महान लोग अपनी मातृभूमि का कर्ज चुका गए।

    गांधी नेहरू के बयान बहुत जी अपमानजनक है।

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