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1 Comments

  1. कमल लखेड़ा

    लेखक आंदोलन प्रेमी प्रतीत होते हैं, बहुत अच्छी बात है । लोकतंत्र जनता को सरकार के सही/ग़लत निर्णय के खिलाफ आवाज उठाने की बात का समर्थन करता है, लेकिन पूरा लेख पढ़कर 2 बातें सामने आईं हैं, पहली, CAA के विरोध में मुस्लिम समाज द्वारा घटिया तर्क दिया जा रहा है कि हमारी कई पीढ़ियां यहां रह चुकी हैं, कोई हमसे नागरिकता साबित करने को नहीं कह सकता । देश को एकसूत्र में पिरोने में उनकी भूमिका अड़चन पैदा करने की क्यूं ? दूसरी बार NRC आज लागू हो या कल इससे आपको क्या फर्क पड़ता है कि राजनेता इस मुद्दे पर असमंजस में हैं ? रही बात सड़क घेरकर (जनता को परेशान कर) आंदोलन को महिलाओं द्वारा संचालित करने की तो सर यह उत्पाती क़ौम है, घर बैठकर बैचेन महसूस करते हैं । कुछ बेवकूफ हिन्दू ( सेक्युलर ) इस आंदोलन को इसलिए समर्थन दे रहे हैं कि सरकार के खिलाफ खड़े होना हमेशा फ़ैशन में रहा है ।

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