फूलन और मनोहरश्याम की जुबान के बगैर कोई लेखक बन ही कैसे सकता है जैसे पराई धरती पर पौधा नहीं रोपा जा सकता, इसी तरह परायी भाषा से रचना का पौधा नहीं जमाया जा सकता. आजादी के बाद हिंदी में आंचलिक कथाओं का दौर चला था, मगर वो तो अंकुरित नहीं हो पाया. आंचलिक... Read more
हिंदी की नई पौध के लिए एक चिट्ठी : नसीहत नहीं, ‘हलो’ मेरे नए रचनाकार दोस्तो! आज से करीब पचपन साल पहले मैंने हिंदी लेखकों की दुनिया में प्रवेश किया था. वो पिछली सदी के साठ के दशक का आरंभिक दौर था और हिंदी में रंग-विरंगी पत्रिकाओं के प्रकाशन की शुरुआत... Read more
वीरेन्द्र डंगवाल : कविता और जीवन में सार्थक भरभण्ड -नवीन जोशी गरुड़ बटी छुटि मोटरा, रुकि मोटरा कोशिअघिला सीटा चान-चकोरा, पछिला सीटा जोशि हमारी गाड़ी कोसी पहुंची ही थी कि मेरे मुंह से बचपन में बहुश्रुत ‘चांचरी’ के ये बोल अपने-आप ही निकल पड़े थे- गरुड़ से... Read more
सरकार के ठेंगे पर विधानसभा -जगमोहन रौतेला पिछले दिनों हुए विधानसभा के मानसून सत्र में भाजपा सरकार के अनेक मन्त्रियों के बिना तैयारी के सदन में जाना अनेक गम्भीर सवालों को जन्म दे रहा है. विधानसभा के गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या मन्... Read more
10 अक्टूबर 2016 को दिवंगत हुए पिथौरागढ़ में रहने वाले अद्वितीय मनीषी और कर्मठ विद्वान डॉ. राम सिंह ने उत्तराखंड के इतिहास पर अद्वुतीय कार्य किया था. इस महाप्रतिभा को याद कर रहे हैं हमारे साथी आशुतोष उपाध्याय. डॉ. राम सिंह से मेरा परिचय उनके बड़े बेटे भ... Read more
कथा-सम्राट मुंशी प्रेमचंद, स्कूल-इंस्पेक्टर थे. वे अक्सर देहातों में दौरों पर रहते थे. आवागमन के साधन तब बहुत सीमित होते थे. मजबूरन उन्हें वहीं रुकना पड़ता था. कामकाज के बाद, जन जीवन को गहरे से ऑब्जर्व करना उनके मूल स्वभाव में शामिल था. अगर उनमें ये... Read more
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने आज राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य निर्माण में योगदान देने वाले आंदोलनकारियों के लिए एक स्पष्ट नीति जारी करे. उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही का कोई स्थान नही... Read more
मशहूर कथाकार मुंशी प्रेमचंद को गणित हिमालय सी ऊँचाई का लगता था. आगे की कई पीढ़ियों को भी लगा. महावीर को उससे भी ज्यादा. पाँचवी का बोर्ड उसके लिए अभेद्य सा दुर्ग बन गया . चार साल से लुढ़कते-लुढ़कते वह किशोर वय में पहुँच चुका था. मसें भीग आई थीं, लेकिन दर... Read more
सन 1962-64 के दौरान नैनीताल के डी एस बी कालेज में पढ़ते समय मैंने और मेरे दोस्त नवीन भट्ट ने एनसीसी भी ले ली. उन दिनों एनसीसी लेना अनिवार्य नहीं था. कड़े अनुशासन का पालन किया जाता था और गलती या अनुशासनहीनता पर कोहनियों के बल क्राउलिंग कराना मामूली बात... Read more
सत्तापक्ष व विपक्ष में याराना नज़र आने लगे तो राजनीतिक सरगर्मियों का बढ़ना स्वभाविक है. ऐसा ही कुछ हो रहा है प्रदेश की दो धुरविरोधी पार्टीयों कांग्रेस और भाजपा के बीच. बीजेपी की सरकार बनने से अभी तक लगभग 18 महीने होने को हैं लेकिन जनहितों के मुद्दे पर... Read more