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4 Comments

  1. कृष्ण कुमार मिश्र

    बहुत ही मार्मिक बात, पहाड़ के जीवन का जो सुंदर भी है और कठिन भी इस कथित विकासवादी युग में

  2. Indra pal baneshi

    बहुत ही मार्मिक आज भी जो बुजुर्ग बचे हुए है आज भी पहाड़ नही छोड़ना चाहते

  3. Ajay Gururani

    पहाड़ छोड़ना एक ऐसा दर्द है जो एक नासूर की तरह जीवन भर चुभता है मेरा जन्म पहाड़ ही हुआ। पिताजी नौकरी के लिए दिल्ली में बस गए और मेरी पीजी तक कि पढ़ाई भी दिल्ली में ही समपन्न हुई । परंतु आज गांवो की स्थिति देखकर मन उदास होता है मैं सरकारी विभाग से जुड़ा आदमी हूँ पिछले दिनों ही एक इंटेलीजेंस के मित्र ने बताया तुमहारे पहाड़ों पर बहुत जल्द ही और लोगो का कब्जा होगा मस्जिदे बननी स्टार्ट हो गयी है बहुत जगह तो ।
    जब भी मौका मिल पाता है चाहे वजह छोटी ही क्यों न हो मैं पहाड़ जाता जरूर हूँ । आप सभी से विनती है टूरिज्म को बढ़ावा दें वह बस नही सकते तो इस भीड़ भाड़ भरी प्रदूषण से भरी जिंदगी की जगह वहाँ ठंडा ठंडा वक़्त बिताएं ।

  4. Rajendra Danu

    ❤❤??

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