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1 Comments

  1. वीरेंद्र विष्ट

    लेख अच्छा है। पँर एक सुझाव भी है कि किसी लेख को पोस्ट करने पहले उसका प्रूफ रीडिंग भिनकीय करें। मैन कई बार देकह है कि लेख में कुछ वाक्य या पैराग्राफ़ दोबारा दोबारा छप दिए जाते हैं। जैसे इस लेख में ही देख लीजिये।
    पहले लेख खत्म होते ही दोबारा शुरू से वही दोबारा लिख पेस्ट कर दिया गया है।

    जैसे ये लेख का अंतिम वाक्य था:
    …….
    ये लोग विशेषाधिकार के तौर पर अपने पास ढोल-नगाड़े, नक्कारे व निशान रखने का अधिकार था.
    ………

    लेकिन इसके बाद दोबारा लेख की शुरुवात हो गई है:
    ………
    उत्तराखण्ड के चंदवंशीय शासकों ने राज-काज व प्रशासनिक कार्यों में सलाह लेने के लिए समिति बनायी हुई थी. इन समितियों में चार प्रमुख कबीलों/आलों (धडों) के प्रतिनिधि हुआ करते थे. इन समितियों के प्रतिनिधि बूड़े (सयाने) कहलाते थे. उस समय इन समितियों में शामिल किये जाने वाले बूड़े थे—कार्की, तड़ागी, बोरा, चौधरी.

    इन्हीं चार आलों……
    ………..

    कृपया इसपर ध्यान दें। इन कमियों के कारण आपके ये सराहनीय काम का स्तर गिरता है।
    गुणवत्ता बनाये रखने के लिए प्रूफ रीडिंग और एडिटिंग पँर भी ध्यान देना पड़ेगा।

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