गुरुद्वारा रीठा साहिब
रीठा साहिब उत्तराखण्ड में स्थित सिखों के पवित्र तीर्थस्थलों में एक है. चम्पावत जिले में लोहाघाट से इसकी दूरी 66 किमी है. यहाँ मौजूद रीठे के पेड़ की एक शाखा के फल मीठे जबकि दूसरी के कड़वे. इस ब... Read more
क्या हमारे सपनों का उत्तराखण्ड बन पाया है
पृथक उत्तराखंड राज्य के लिए जब आन्दोलन चल रहा था, तब अक्सर हम कहा करते थे कि उत्तराखंड के लोग देश के तमाम उच्च पदों पर हैं. वे वैज्ञानिक हैं, अर्थशास्त्री हैं, समाज शास्त्री हैं, टॉप ब्यूरोक... Read more
कुमाऊँ का अंग्रेज नवाब
1856 से 1884 के बीच उत्तराखण्ड का कमिश्नर हेनरी रैमजे रहा. हेनरी रैमजे लार्ड डलहौजी का चचेरा भाई था. अंग्रेज इतिहासकारों ने भारत में अंग्रेजी राज के 10 निर्माताओं में हेनरी रैमजे को भी स्थान... Read more
पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें पडोसी मुल्क पाकिस्तान भेजनें की गुजारिश की है. दरअसल जिस देश के लोकतंत्र की खातिर वीर चंद्र सिं... Read more
उत्तराखण्ड के जनसरोकारों से जुडे क्रान्तिकारी छात्र नेता स्वर्गीय निर्मल जोशी “पण्डित” छोटी उम्र में ही जन-आन्दोलनों की बुलन्द आवाज बन कर उभरे थे. शराब माफिया,खनन माफिया के खिलाफ... Read more
बागेश्वर में आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों के विस्थापन के मामले में सरकार चुप्पी साधे है. जबकि भूवैज्ञानिकों ने सरकार को चिह्नित संवेदनशील दर्जनों गांवों के शीघ्र विस्थापन की रिपोर्ट कई... Read more
आज है जानवरों के स्वास्थ्य से जुड़ा पर्व खतड़ुवा
खतड़ुवा उत्तराखंड में सदियों से मनाया जाने वाला एक पशुओं से संबंधित त्यौहार है. भादों मास के अंतिम दिन गाय की गोशाला को साफ किया जाता है उसमें हरी नरम घास न केवल बिछायी जाती है. पशुओ को... Read more
लंदन का एकलव्य – माइकल फैराडे
लंदन की एक गरीब बस्ती. एक सबसे अलग सा दिखता विचित्र अनाथ बालक भी था वहां. रद्दी अख़बार उसकी ज़िंदगी थे. क्योंकि वो इन्हें बेचकर अपनी बसर करता है. उसकी निगाह कभी-कभी रद्दी अख़बार की हेड लाइन या... Read more
सदाबहार रेखा
वो सावन-भादों की फुहार हैं…उमराव जान की ताजा़ ग़ज़ल…ख़ूबसूरत की शोख़ी और हर उस फिल्म की जान जिसमें वे नज़र आईं. रेखा ने जैसे उन्हें अपने क़रीब से तो गुज़रने दिया…खु़द को छूने नहीं... Read more
क्या थी धर्म संसद, और यह गई कहां?
जिस स्विडनबॉर्जियन चर्च की पहल पर 11 सितम्बर 1893 को दुनिया की एकमात्र धर्म संसद आयोजित हुई थी, वह खुद तो कहीं बह-बिला गया लेकिन दक्षिण एशिया में उसके दो अवशेष लंबे समय तक अपना प्रभाव दिखाते... Read more