कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 121
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
‘मैने प्यार किया’ के प्रोड्यूसर बड़जात्या को कौन भूल सकता है. वे निर्देशक सूरज बड़जात्या के पिता थे. बड़जात्या की फिल्मों के बारे मे यह आम राय कायम होकर रह गई कि, वे रामचरितमानस के... Read more
ठैरा और बल से आगे भी बहुत कुछ है कुमाऊनी में
आज अन्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है. कुमाउंनी में मातृभाषा के लिये अगर सबसे उपयुक्त शब्द नज़र में आता है वह है दुदबोली. भारत की तमाम भाषाओं की तरह कुमाउंनी भी अपनी अंतिम सांसे गिन रही है. पहाड़... Read more
नामवर सिंह: साहित्यिक-वाचिक परंपरा के प्रतिमान
‘तुम बहुत बड़े नामवर हो गए हो क्या.’ नामवर का नाम एक दौर में असहमति जताने का एक तरीका बनकर रह गया था. वक्ता को हैसियत-बोध कराने का मुहावरा. किंवदंती बनने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल... Read more
किसी भी खाने को स्वादिष्ट बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका छौंके या तड़के की होती है. छौंक पड़ने से खाने की तासीर बदल जाती है. छौंक से खाना न के केवल स्वादिष्ट बनता है बल्कि पौष्टिक और पाचक भी... Read more
पर्वतीय कृषि के विकास की बाधायें, पर्वतीय कृषि का भावी परिदृश्य एवं समस्याओं के समाधान हेतु कुछ सुझाव पंकज सिंह बिष्ट कल्पना करें कि आने वाले कुछ बरस बाद हमारे पहाड़ के सारे गाँव बीरान हो गये... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 120
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
ठेले पर हिमालय
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. धर्मवीर भारती Dharmvir Bharti (25 दिसंबर, 1926 – 4 सितंबर, 1997) आधुनिक हिन्दी के अग्रणी लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे. 1972 में पद्मश्री से सम्मानित... Read more
समकालीनता अब छुटभैयों का अभ्यारण्य है
किस बात के नामवर? लेखन के, समालोचन के, अध्ययन के, अध्यापन के, सम्पादन के, वक्तृत्व के या इन सबसे इतर साहित्य, समाज और भाषा के किसी घालमेल के. किस बात के? नामवर का नामवर होना इनमें से हर विधा... Read more
निगम, दमुवाढूँगा और सुअर
विकासशील देश पालने में लेटे-लेटे लम्बे अरसे तक अमेरिका आदि देशों को ताकते रहते हैं. फिर विकास की घुट्टी पीकर धीरे-धीरे विकसित होते हैं. इनके विकास की पहली शर्त ये होती है कि ये देश हों, पाकि... Read more