चंडीदास और रामी धोबन की प्रेम कथा
गई जब रामी धोबन एक दिन दरिया नहाने को वहाँ बैठा था चंडीदास अफ़साना सुनाने को कहा उसने के रामी छोड़ दे सारे ज़माने को बसाना है अगर उल्फ़त का घर आहिस्ता आहिस्ता अमीर मीनाई की लिखी और जगजीत सिंह द्... Read more
शमशेर सिंह बिष्ट का एक आत्मीय संस्मरण
शमशेर सिंह बिष्ट ठेठ पहाड़ी थे. उत्तराखंड के पहाड़ी ग्राम्य जीवन का एक खुरदुरा, ठोस और स्थिर व्यक्तित्व. जल, जंगल और ज़मीन को किसी नारे या मुहावरे की तरह नहीं बल्कि एक प्रखर सच्चाई की तरह जी... Read more
नैनसिंह रावत का शुरुआती जीवन
तिब्बत का पहला भौगोलिक अन्वेषण करने वाले उन्नीसवीं शताब्दी के महानतम अन्वेषकों में से एक माने जाने वाले मुनस्यारी की जोहार घाटी के मिलम गाँव के निवासी पंडित नैनसिंह रावत के बारे में लेख काफल... Read more
2016 के दिसम्बर की बात होगी दिल्ली में गैर-पहाड़ी ने यूट्यूब पर एक वीडियो दिखाया. वीडियो में कुछ गोरे लड़के-लड़कियों के बीच में एक भारतीय हुड़का बजा रहा था. यह अमेरिका की कोई एक यूनिवर्सिटी थी.... Read more
उत्तराखण्ड के अरबपति दान सिंह ‘मालदार’ की कहानी
दान सिंह बिष्ट ‘मालदार’ (Dan Singh Bisht ‘Maldar’) (1906 -10 सितंबर 1964) दान सिंह बिष्ट उर्फ़ दान सिंह ‘मालदार’ (Dan Singh Maldar) उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के अरबपति... Read more
पहली बार उस लड़की से मिलिए तो उसमें आपको एक निहायत भोली और ठेठ पहाड़ी लड़की नज़र आएगी. सादगी से भरी उसकी शुरुआती बातें आपके पहले इम्प्रेशंस से मेल खाएंगी. फिर आप उसकी बनाई फ़िल्में देखिये. उसके ब... Read more
पचास लाख पेड़ लगाने वाले मसीहा का जाना
कल यानी बीते शुक्रवार को उत्तराखंड के ‘वृक्ष मानव’ (Tree Man) के नाम से विख्यात श्री विश्वेश्वर दत्त सकलानी (Vishweshwar Dutt Saklani) का देहांत हो गया. उनके परिजनों की मानें तो उन्होंने अपन... Read more
“हाँ साहब! वह पैठी है मन के भीतर” – गोपाल राम टेलर से महान लोकगायक तक गोपीदास का सफ़र
1900-1902 के बीच कोसी नदी से सटे हुये गांव सकार में ‘दास’ घराने के एक हरिजन टेलर मास्टर के घर जन्मा था गोपाल राम. इस खानदान में गाथा गायन अतीत से चला आया था. यह लोग बौल गायन तथा जागरी गाथा क... Read more
मेरे जाने के बाद कोई नहीं गायेगा मालूशाही
उत्तराखंड के महान मालूशाही-गायक गोपीदास के साथ अपनी पहली मुलाक़ात को याद करते हुए जर्मनी के मानवशास्त्री और भारत के अध्येता कोनराड माइजनर ने लिखा है: गोपीदास से 1966 में हुई पहली मुलाकात को म... Read more
नैनीताल के अवस्थी मास्साब
वह 1984 की गर्मियों के दिन थे और दिलकश नैनीताल हमेशा की तरह सैलानियों की गहमा-गहमी में डूबा हुआ था. पहाड़ के बाकी हिस्से में उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी के `नशा नहीं रोजगार दो´ आंदोलन की बयार ब... Read more