शिव को अनेक रूपों में पूजा जाता है उन्हीं रूपों में एक है शिवलिंग. पौराणिक कथानुसार माना गया है कि सबसे पहले शिव लिंग का पूजन उत्तराखंड की पवित्र भूमि से प्रारंभ हुआ. अल्मोड़ा जिले से 35 किमी... Read more
उत्तराखंड में बंसत पंचमी का दिन सबसे पवित्र दिनों में माना जाता है. कई स्थानों में इसे स्थानीय भाषा में सिर पंचमी भी कहा जाता है. कुछ स्थानों में आज यहां अपनी-अपनी स्थानीय नदियों को गंगा समझ... Read more
उत्तराखंडी लोक कला के विविध आयाम हैं. यहाँ की लोक कला को ऐपण कहा जाता है. यह अल्पना का ही प्रतिरूप है. संपूर्ण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोक कला को अलग-अलग नामों जैसे बंगाल में अल्पना, उ... Read more
दांत दर्द का ठेठ पहाड़ी ईलाज
पहाड़ों में जीवन अत्यंत कठिन है. इस कठिन जीवन को और अधिक कठिन बनाती है स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी. आज के वैज्ञानिक युग में हर रोग की दवा है हर रोग का इलाज है लेकिन जब विज्ञान न था... Read more
उत्तरायणी में कौवो को खिलाने की परंपरा के बारे में कई जनश्रुतियां एवं लोककथाएँ प्रचलित हैं. इनमें से एक लोक कथा इस प्रकार है– (Folktale About Uttarayani Festival) बात उन दिनों की है जब कुमाऊ... Read more
जै जिया के जयकारे से गूंजा रानीबाग
मकर संक्राति की सुबह कड़-कड़ाती ठंड में स्नान के साथ समाप्त होता जियारानी का मेला. इससे पिछली रात रानीबाग़ में गार्गी नदी किनारे में बैर गाये जाते हैं जागर लगाई जाती है. हुड़का, मसकबीन, ढोल, दम... Read more
घुघुतिया पहाड़ियों का सबसे प्रिय त्यौहार है. बिरला ही ऐसा कोई होगा जिसके भीतर घुघितिया की भीनी याद न होगी. देशभर में मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाने वाला त्यौहार उत्तराखंड में घुघुतिया त्... Read more
दून घाटी में प्रवेश करते ही साल के खूबसूरत जंगल आपका स्वागत करते हैं. इस घाटी में आप चारों तरफ कहीं भी चले जांये छ सात किलोमीटर के बाद आपको सदाबहार साल के जंगल आपका मन मोह लेंगे. साल का पेड़... Read more
’प्राणो वा अन्नः’ अन्न ही प्राण है, यह वेदोक्त बात है. अन्न को ब्रह्म का स्वरूप भी कहा गया है, अन्न को देवता तुल्य माना गया है, जो हमारे शरीर का पोषण करता है. कुदरत ने मानव शरीर की संरचना इस... Read more
श्रीकृष्ण के बाल्यकाल में यमुना के तट पर उनका कालियनाग से संघर्ष का वर्णन मिलता है. श्रीकृष्ण और कालिय नाग के मध्य हुए इस संषर्ष में जब श्रीकृष्ण विजयी होते हैं तो कालिय नाग को यमुना छोड़कर... Read more