देहरादून के घंटाघर का रोचक इतिहास
ऐसी तस्वीर जिसको देखते ही हर देखने वाले की जुबान पर इस जिले का नाम आ जाये तो वह तस्वीर यहां के घंटाघर की हो सकती है. देहरादून का घंटाघर इस शहर की पहचान है. जहां आज घंटाघर है वहां पहले पानी क... Read more
अल्मोड़ा आने के बाद यहीं के होकर रहे विख्यात वैज्ञानिक बोसी सेन और उनकी अमेरिकी पत्नी गर्ट्रूड एमर्सन
भारत ने हरित क्रान्ति के अग्रदूतों में गिने जाने वाले बसीश्वर सेन साल 1920 में अल्मोड़ा आकर बस गए थे. बोसी सेन के उपनाम से जाने जाने वाले इस वैज्ञानिक-कृषिशास्त्री ने जवाहरलाल नेहरू के कहने... Read more
कुमाऊँ में रुहेला आक्रमणकारियों ने लगभग सभी मन्दिरों को लूटा और उनमें रखी हुई मूर्तियों को तोड़ा. जागेश्वर ही अपनी स्थिति के कारण एक ऐसा प्राचीन स्थल है जहाँ वे नहीं पहुँच पाये. जागेश्वर कुम... Read more
अपने खून से महात्मा गांधी को ख़त लिखकर डांडी मार्च में शामिल होने वाले उत्तराखंडी खड्ग बहादुर
डांडी-सत्याग्रह के दिन. देहरादून से गाँधी जी को एक खत मिला. पत्र मामूली स्याही से नहीं, भेजने वाले ने अपने खून से लिखा था. अहिंसा में विश्वास न होने पर भी वह रण बाँकुरा सत्याग्रह में सक्रिय... Read more
रणनीति के अनुसार, हमारा बिग्रेड उत्तरी पहाड़ियों पर हमला करके, जहाँ इटली की सेना थी, पीछे से जाकर मौनेस्ट्री हिल की तोपों को शान्त करेगा और जर्मन सेना को रोम दिशा की मुख्य सेना से मिलाप न कर... Read more
उत्तराखंड के इतिहास में ऐतिहासिक शर्म का दिन है आज
अपनी समस्याओं को लगातार पत्र और सभाओं के माध्यम से दरबार को बताने के प्रयासों के बाद भी अहंकारी दीवान चक्रधर जुयाल और महत्वाकांक्षाओं से भरे डीएफओ पदमदत्त रतूडी, रंवाई और जौनपुर के जन आक्रोश... Read more
जवाहर लाल नेहरू अल्मोड़ा जेल में
जवाहरलाल नेहरू (नवंबर 14, 1889 – मई 27, 1964) भारत की आजादी के शिल्पियों में से एक रहे नेहरू के बारे में आजकल एक धारणा फैलाई जा रही है कि ‘नेहरू ने भारत की आजादी के लिए किया ही क्... Read more
तिलाड़ी काण्ड की पृष्ठभूमि तैयार करने वाले जन आन्दोलनों का एक विस्तृत अध्ययन
1803 में गोरखाओं से पराजित होकर राज्य खो देने प्रद्युमन शाह की मृत्यु के बाद 1815 में अंग्रेजों की मदद से राजा सुदर्शन शाह ने गोरखा पर विजयी पाई. लेकिन राज्य का एक बड़ा हिस्सा जो अलकनंदा/गंग... Read more
19वीं सदी का महान घुमक्कड़-अन्वेषक-सर्वेक्षक पण्डित नैन सिंह रावत (सन् 1830-1895) आज भी ‘‘सैकड़ों पहाड़ी, पठारी तथा रेगिस्तानी स्थानों, दर्रों, झीलों, नदियों, मठों के आसपास खड़ा मिलता है. लन... Read more
1815 में गोरखों को पराजित कर अंग्रेजी शासन की नींव उत्तराखण्ड में रख दी गई. गोरखा-ब्रिटिश युद्ध 1814 से 1816 के मध्य चला तथा इस युद्ध के समय भारत के गवर्नर जनरल फ्रैंसिस रॉडन हेस्टिंग्स था ज... Read more