हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के पास एक गाँव में बसा है संभावना संस्थान . संभावना एक शैक्षणिक संस्थान है. पालमपुर नगर से संभावना परिसर की दूरी 8 किमी है. पिछले पांच सालों से हर साल संभावना संस्था... Read more
उत्तराखंड में बीज बचाओ आन्दोलन
80 के दशक तक उत्तराखंड के पहाड़ों में भी हरित क्रान्ति ने जोर पकड़ लिया था. पहाड़ों में सरकारी व कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हरित क्रांति की रासायनिक खेती का प्रचार-प्रसार किया. लोगों... Read more
वृक्ष मानव का निधन विश्वेश्वर दत्त सकलानी ने आठ साल की उम्र में अपने जीवन का पहला पौधा लगाया था. 96 वर्ष की आयु तक उन्होंने टिहरी-गढ़वाल जिले में कम से कम पचास लाख पेड़ लगाये. वह उत्तराखंड के... Read more
पचास लाख पेड़ लगाने वाले मसीहा का जाना
कल यानी बीते शुक्रवार को उत्तराखंड के ‘वृक्ष मानव’ (Tree Man) के नाम से विख्यात श्री विश्वेश्वर दत्त सकलानी (Vishweshwar Dutt Saklani) का देहांत हो गया. उनके परिजनों की मानें तो उन्होंने अपन... Read more
दो हजार साल पहले पिथौरागढ़ के तीन ओर था एक सरोवर
वह सरोवर बचपन में अपने “मुलुक’ (Pithoragarh) के बारे में पूछता था तो दादी बताती थीं एक ऐसे मैदान के बाबत, जिसमें मीलों तक पत्थर दिखते ही न थे. पहली बार सोर घाटी देखी तो लगा कि दादी ने अतिशयो... Read more
हिमालय के पहाड़ी इलाकों ख़ास तौर पर उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश और नेपाल में पाई जाने वाली कुत्तों की सबसे विख्यात नस्ल है हिमालयन शीपडॉग. आम बोलचाल की भाषा में इसे भोटिया कुकुर कहा जाता है. आधि... Read more
पिछले दो दशकों से पिथौरागढ़ के लोग नगर के आसमान पर उड़ता हुआ हवाई जहाज देख पाने की उम्मीद लगाये बैठे हैं. जहाज तो कभी दिखा नहीं लेकिन पिछले कुछ सालों में नैनीपातल से बनने वाला धुँआ पिथौरागढ़ के... Read more
उत्तराखण्ड के तीन जिलों – पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी – की सीमाएं चीन से लगती हैं. अस्सी के दशक तक इन तीनों जिलों में रहने वाली आबादी का नब्बे प्रतिशत से अधिक हिस्सा ग्रामीण था.... Read more
उत्तराखंड में कृषि भूमि का केवल 12% सिंचित है. यहाँ की 50% से अधिक आबादी को रोजगार कृषि से ही प्राप्त होता है. उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल इलाके में किसान ऐसा फसल चक्र अपनाते हैं जिसमें पूरा जी... Read more
पहाड़, पर्यावरण और प्लास्टिक का कचरा
अस्सी के दशक के शुरुआती वर्षों के दौरान मेरे गाँव के लोग स्थायी गाँव से दूर खेड़े (मंजरों) में जमीन कमाने जाते थे. गाँव के अन्य बच्चों की तरह मैं भी अपने परिवार वालों के संग हो लेता. वहीं खेल... Read more