वह कवि था घटना पर कविता लिख रहा था
इस घटना से सभी चिंतित थे. पुलिस मौके की जाँच कर रही थी. पत्रकार मौके से रिपोर्ट कर रहा था. परिजन और पड़ोसी मौके पर दुखी थे. नेताजी जी मौके पर दुखी तो नहीं थे, पर मौके पर दुख व्यक्त कर रहे थे... Read more
कोरोना वायरस के कारण पूरा देश लॉक डाउन कर दिया गया है. सभी अपने घरों में कैद हैं. लॉक डाउन, कोरोना वायरस को तेजी से फैलने से रोकने में बहुत कारगर है. परन्तु इससे दूसरी बीमारी फैलने का खतरा म... Read more
अरुण यह मधुमय देश हमारा
शाम को टहलते हुए सोच रहा था कवि ने ऐसा क्यों कहा – अरुण यह मधुमय देश हमारा? वह कह सकता था – देखो यह मधुमय देश हमारा, अथवा – अहो यह मधुमय देश हमारा. कविगण भूत, भविष्य,... Read more
गांव की चौपाल पर टीवी
गाँव की चौपाल पर एक छोटा सा टीवी लगा था. टीवी और जगह भी लगे थे ,पर वे एंटीने वाले थे. चौपाल का टीवी छतरी वाला था. छतरी वाला टीवी जब से गाँव में आया, पूरे गाँव का माहौल ही बदल गया. छतरी की छ... Read more
ॐ अग्नये स्वाहा, इदं अग्नये इदं न मम
उनके जैसा ज्वलनशील व्यक्ति मिलना मुश्किल था. लोग कहते हैं कि उनके माथे पर लिख दिया जाना चाहिये था- अत्यंत ज्वलनशील, दूरी बनाए रखें. थोड़े-बहुत ज्वलनशील तो हम सभी होते हैं, वे अत्यंत ज्वलनशील... Read more
संगठित लेखक प्रकाशकों पर भारी पड़ते हैं
हालत पाठकों की भी कुछ कम ख़राब नहीं थी. शर्मा जी के बारे में पता चला कि पुस्तक मेले से लौट कर उन्हें साँस लेने में तकलीफ़ है, तो मैं देखने चला गया. (Satire by Priy Abhishek) बिस्तर पर लेटे-ल... Read more
मदन जी पूरी रात नहीं सोए. और करवट भी नहीं बदल पाए. एक तरफ़ कनक भूधराकार सरीरा उनकी पत्नी सो रही थीं. जो समर भयंकर अति बलबीरा भी थीं. जिनके खर्राटे उनके हृदय में रणभेरी जैसी धमक पैदा कर रहे थ... Read more
कविराज नूर बहोड़ापुरी के बारे में ख़बर मिली कि पुस्तक मेले से लौट कर वे भारी अवसाद (डिप्रेशन) में चले गए हैं. इतना कि उनको मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराना पड़ा. मैं उनको देखने के लिए अस्पत... Read more
पतंग लूटना कला भी है और विज्ञान भी
ये पूरा कार्य किसी फ़ौज के अभियान से कम नहीं होता. वही पदसोपान, वही अनुशासन,वही रणनीति, वही जोश और वही जज़्बा. (Satire Priy Abhishek) बिल्कुल नए रंगरूट के तौर पर हमें सबसे पहले ‘छुड़इय... Read more
जिससे है सबको आशा, दिखा दे लोकतंत्र का तमाशा!
जमूड़े! हाँ उस्ताद! लोगों को हँसाएगा? हँसाएगा! तालियां बजवाएगा? बजवाएगा! जमूड़े! जिससे है सबको आशा, दिखा दे लोकतंत्र का तमाशा! उस्ताद! तेरा हुकुम वजा लाता हूँ, मैं भीड़तंत्र दिखलाता हूँ! जमू... Read more