गर्जना और विद्युत की कहानी
बहुत समय पहले गर्जना (बादलों की आवाज़) और विद्युत (आकाशीय बिजली) बाक़ी सभी लोगों के साथ धरती पर ही रहा करते थे लेकिन राजा ने उन्हें लोगों के घरों से बहुत दूर शहर के दूसरे छोर पर रहने को विवश... Read more
पीहू एक बहुत ही सुलझी हुई, समझदार, खूबसूरत और होशियार बच्ची थी और अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान भी. बचपन से ही पीहू पढ़ाई में अव्वल थी. पढ़ाई के साथ साथ माँ का काम में हाथ बंटाना, पापा के... Read more
बारिश: एक नौजवान के ना-मुकम्मल इश्क़ की दास्तान
मूसलाधार बारिश हो रही थी और वो अपने कमरे में बैठा जल-थल देख रहा था. बाहर बहुत बड़ा लॉन था, जिसमें दो दरख़्त थे. उनके सब्ज़ पत्ते बारिश में नहा रहे थे. उसको महसूस हुआ कि वो पानी की इस यूरिश स... Read more
माहवारी के दौरान लड़कियों संग होने वाले अमानवीय व्यवहार पर कपकोट से 11वीं की छात्रा मंजू की रपट
किसी भी देश का डिजिटल रूप से लैस और तकनीकी रूप से विकसित होना 21वीं सदी की खासियत है. आकाश से लेकर पाताल तक की गहराइयों को नाप लेने की क्षमता भारत ने भी विकसित कर ली है. यही कारण है कि भारत... Read more
बधाणगढ़ी से हिमालय के दृश्य
उत्तराखंड में कई ऐसी जगहें हैं जो अपने आप में अद्वितीय हैं. प्रकृति ने इन जगहों को इतना सुंदर बनाया है कि आप को यहां आकर जो आनन्द और अनुभूति होती है वह शायद कहीं और न हो. ऐसी ही एक जगह है बध... Read more
कृष्णा सोबती की कहानी ‘सिक्का बदल गया’
खद्दर की चादर ओढ़े, हाथ में माला लिए शाहनी जब दरिया के किनारे पहुंची तो पौ फट रही थी. दूर-दूर आसमान के परदे पर लालिमा फैलती जा रही थी. शाहनी ने कपड़े उतारकर एक ओर रक्खे और ‘श्रीराम, श्... Read more
आपका उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में घर हो और इक्कीस सालों में पहाड़ की यात्रा में आपने कितने बार यह कहा है कि इस बार की सड़क यात्रा शानदार रही. पहाड़ की जीवनरेखा बताकर 1960 से हमारी जमीनें... Read more
‘ह्यून’ पहाड़ों में सर्दी का मौसम
ह्यून यानि कि सर्दी का मौसम. पहाड़ों के मुख्य तीन मौसम – रूड़, चौमास, ह्यून में सबसे अच्छा मौसम ह्यून का ही होता है. हालांकि इस मौसम में कुछ जटिलतायें भी हैं. मंगसीर, पूस और माघ का महि... Read more
महेश चंद्र पुनेठा की किताब ‘अब पहुँची हो तुम’
एक कविता संग्रह में सामान्यत: अलग-अलग थीम्स पर कविताएं लिखी जाती हैं. क्या अलग-अलग थीम पर लिखी गई कविताओं में कोई समानता हो सकती है? उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ी ज़िले पिथौरागढ़ से शिक्षा समानत... Read more
साधो, बीता साल गुज़र गया और नया साल शुरू हो गया. नए साल के शुरू में शुभकामना देने की परंपरा है. मैं तुम्हें शुभकामना देने में हिचकता हूँ. बात यह है साधो कि कोई शुभकामना अब कारगर नहीं होती. म... Read more