भय बिनु होय न प्रीति का पहाड़ी कनेक्शन – चेटक लगना
बचपन से कई ऐसे संवाद धार्मिक प्रसंगों में सुनते आये हैं जिनका आशय तो हम नहीं समझ पाते लेकिन अतार्किक बनकर सहज रूप में उन्हें स्वीकार कर लेते हैं. भगवान राम जन-जन के आराध्य रहे हैं और उनके प्... Read more
मामू कबाड़ी बस इतना ही परिचय काफी है इनका. मामू कबाड़ी को नैनीताल का हर बाशिंदा जानता है. कबाड़ बेचकर लोगों के बीच इतनी लोकप्रियता बटोरने के पीछे किताबों के प्रति उनका लगाव है. इसी की बदौलत... Read more
प्रताप भैया की 87वीं जयन्ती पर कोई सामान्य सी घटना भी आपकी जिन्दगी की दिशा मोड़ सकती है, यदि संवदेनशीलता अन्दर तक हिला दे. ऐसी ही एक घटना ने बालक प्रताप को जातिवादी व्यवस्था का धुर विरोधी बन... Read more
पहाड़ी तकिया कलाम नहीं वाणी की चतुरता की नायाब मिसाल है ठैरा और बल का इस्तेमाल
आम पहाड़ियों में ठैरा और बल शब्द जाने-अनजाने उनका पीछा नहीं छोड़ते. सुदूर महानगरों में रहने वाले लोग भी जो पैदायशी उत्तराखण्डी हों हिन्दी बोलते वक्त भी इन शब्दों के यदा कदा प्रयोग करने पर उ... Read more
पिज्जा, बर्गर और फास्ट फूड के इस दौर में यदि उत्तराखण्ड के परम्परागत व्यंजनों की बात करें तो आधुनिक पीढ़ी को ताज्जुब नहीं होना चाहिये कि उस दौर में रिश्तेदारी में जाने के लिए भी ये ही पकवान... Read more
भवाली के लोग भूले नहीं हैं डॉ. आन सिंह को
पचास के दशक के अन्त में जब होश संभाली, तो घर में किसी सदस्य के गम्भीर बीमार पड़ने पर डॉ. आन सिंह जी को उपचार हेतु बुलाया जाता. घर की देहली पर उनका कदम रखते ही मरीज व परिजनों का आधा तना... Read more
खुद ही ब्रांड है नैनीताल की नमकीन
न कोई ब्रांडिंग, न विज्ञापन, न चमक-दमक वाला आउटलेट. इसके बावजूद नैनीताल की नमकीन इस कदर मशहूर हो गयी, कि लोग इसके दीवाने हैं. जिसने नैनीताल की नमकीन का स्वाद चखा, वह आज भले ही महानगरों में... Read more
यह कहना गलत न होगा कि उत्तराखण्ड की शादियों में जो रस्में होती थी, उनमें से कई आज बूढ़ी हो चली हैं या यूं कहें की बदलते परिवेश में अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं. किसी भी समाज की संस्कृति, रीत... Read more
नैनीताल में शेरवानी लौज के पन दा की कड़क चाय
नैनीताल में शेरवानी लौज के पन दा की चाय जिसने एक बार पी ली तो समझो वह उस चाय का मुरीद हो गया. मूल रूप से दौलाघट के रहने वाले पनदा का हंसमुख स्वभाव ही ऐसा था कि जिससे दो-चार बातें हुई, उनसे... Read more
ब्रह्मकमल और मोनाल को भले राज्य पक्षी एवं राज्य पुष्प का सम्मानजनक ओहदा मिल चुका हो, लेकिन लोकजीवन व लोकसाहित्य में प्योली, बुरांश तथा न्योली, घुघुती और कफुवा ने जो धमक दी, उससे ये लोकजीवन क... Read more