वर्ष 2001 में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस कोर्स करने के बाद प्रातःकालीन भ्रमण का एक नियम सा बन गया था. तब सुबह के साथी मित्र पंकज पांडे हुआ करते थे. सुबह के वक्त पहाड़ी रास्तों में गप... Read more
बीते दिन पिंडर घाटी के अंतिम गांव खाती के तारा सिंह उर्फ तरदा से मुलाकात हुई. वे अपनी बिटिया को कॉलेज पहुंचाने के लिए बागेश्वर तक आए थे. “क्या हाल हैं गांव के” – पूछने पर मायूस हो वे ग... Read more
अपनी चार साल पुरानी एक महत्वपूर्ण पोस्ट को आज फेसबुक पर शेयर करते हुए बागेश्वर के हमारे साथी केशव भट्ट ने लिखा है: ” आज तक भी यही हालत हैं, शर्म आती है हमारी सरकारों पर जो दुनिया में ब... Read more
एक तो बचपन ऊपर से वो भी गांव का. अलमस्त सा. घर वाले गालियों से नवाजते थे, और ‘भूत’ हो चुके चाचाजी, जो भी उनके हाथ लगता रावल पिंडी एक्सप्रैस की स्पीड में दे मारते. और उनका निशाना... Read more
बागेश्वर जिले में शहर से डोबा-धारी-गिरेछिना से सोमेश्वर को एक पतली सी सड़क बनने से अब ज्यादातर लोग इसी मार्ग से आ-जा रहे हैं हालांकि बरसातों में सड़क बंद होने के अंदेशे से इस मार्ग में आने-ज... Read more
आजकल कई गांवों में बैसी-जागर टाईप का कुछ पूजा-नृत्य गांव की धूनियों में हो रहा है. बाहर बसे परदेसी भी गांव में आकर खूब श्रद्वा भाव दिखाने में मग्न हैं. धूनी को चमका रखा है. बाकायदा बैसी-जागर... Read more