भारत में फैन की मूल डिजाइनिंग इस तरह की गयी है कि कांच के नन्हे गिलास के साथ उसका ज्यामितीय व्याकरण सही बैठ सके. उसे तनिक संकरे पैरेलैलोग्राम की आकृति में बनाया जाता है. प्रैक्टिकल बर्ताव की... Read more
हर साल फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार घोषित होता है. हर साल कलेजे पर लम्बे समय से चस्पां पुराना नासूर दुखने लगता है. विज्ञान और ख़ास तौर पर फिजिक्स को लेकर मेरे मन में बचपन से ही बड़ा उत्साह था ल... Read more
शैलेश मटियानी एक ही था
छुरी की धार तेज करता हुआ एक किशोर ग्राहक का इन्तजार कर रहा है. अभी अभी काटा गया बकरा लोहे की खूंटी से टांगा जा चुका है. भुनी हुई उसकी खाल के रोओं की दुर्गन्ध में ताजे रक्त और मांस की आदिम गं... Read more
हर घर की डिब्बा कथा
दशहरे के बाद घर में कई-कई दिन चलने वाली सालाना सफाई बताती है कि मनुष्य मूलतः डिब्बाप्रेमी प्रजाति है. गोपन-अगोपन अलमारियों, दराजों, दुछत्तियों और खाने-तहखानों से डिब्बों का निकलना शुरू होता... Read more
हल्द्वानी की एक तस्वीर और उसकी तफसील
नीचे की फोटो को ध्यान से देखिये. एक निगाह में आप ताड़ जाएंगे कि यह उत्तराखंड के किसी बड़े नगर का रोडवेज स्टेशन है. ऑनलाइन बुकिंग का बोर्ड बताता है कि टेक्नोलॉजी के मामले में हमने बहुत तरक्की... Read more
कहां गयी पहाड़ की चुंगी देने की परम्परा
बचपन में चुंगी मिलने अपार आनंद याद आता है. वह जीवन के सबसे सुखद पलों में हुआ करता. हम बच्चे होते थे और घर पर किसी भी बड़े चचेरे-ममेरे भाई या उसके अन्तरंग दोस्त के आने की प्रतीक्षा रहती थी. (... Read more
बौनों से भरे साहित्य-संसार दुनिया में विष्णु खरे एक गुलीवर थे : पुण्यतिथि विशेष
19 सितम्बर 2018 के दिन अशोक पांडे की फेसबुक वाल से : अलविदा विष्णु खरे – 1 जबरदस्त कवि, बड़े सम्पादक, सिनेमा और संगीत के अध्येता, गंभीर पाठक, भाषाओं और यारों के धनी उस आदमी की महाप्रतिभा का... Read more
जन्मदिन पर गिर्दा की याद
गिर्दा एक खूबसूरत आदमी थे. उम्दा कोनों, सतहों, गहराइयों-उठानों वाला तराशा हुआ गंभीर चेहरा और आलीशान जुल्फें. और बात करने का ऐसा अंदाज कि जैसे खुद मीर तकी मीर कह रहे हों: (Remembering Girda t... Read more
रायपुर (अब छत्तीसगढ़), में जन्मे देश के महानतम समकालीन नाटककारों में से एक हबीब अहमद ख़ान ‘तनवीर’ उर्फ़ हबीब तनवीर का आज जन्मदिन है. कबाड़खाना ब्लॉग से हबीब तनवीर पर एक लेख पढ़िए :... Read more
भगतसिंह ! इस बार न लेना काया भारतवासी की
30 अगस्त 1923 को जन्मे मशहूर गीतकार शैलेन्द्र का असल नाम शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र था. (Remembering Lyricist Shankar Shailendra) 1947 में भारतीय रेलवे की माटुंगा, मुम्बई वर्कशॉप में एक एप्र... Read more