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2 Comments

  1. Bhuwan Chandra Pande

    ‘फूलों वाला पेड़ ‘देखौ होय देखौ किलैकि आनन्द देखणै कै छियो। नानछना १९६४ तक तैकें देखियैकि याद नहा फिर अल्माड़ छुटिगो। बाद में १९९० दशक में अल्माड़ प्रवेश करते ही, जीआई सी गेट पुजते ही, अद्भुत पेड़ देखी जाछी । अनदेखी क्वे करि नि सकछी। तीन साल बठीअल्माड़ नि जै सक्यूं ।करोना लै आपणी खोर फोड़ि राखौ। लेकिन उ जाग कतुक उजाड़ लागलि कल्पना नि करि सकीन। भौत समय बाद सौजन्य काफल ट्री कुमाउनी में लेखणौंक प्रयास करौ शायद ठीक ठाकै लेखी सक्यूं।
    भुवन चन्द्र पाण्डे [email protected].

  2. दीपशिखा

    आह.. कितनी खूबसूरत लेखनी.. अल्मोड़ा से जुड़ी मेरी याद में भी ये पेड़ बहुत खास था.. जिस दिन ढह गया उस दिन मन भी कुछ टूट सा गया था..
    कुछ यादें तरोताज़ा हो गई, शुक्रिया

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