एक बार यूं हुआ कि टेस्ट खेलते हुए इंडिया की टीम एक ही दिन में दो बार ऑल आउट हो गयी. एक पारी में 58 रन बने एक में 82. क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. उसके अगले महीने ऐसा भी लम्हा आया कि इंडिया के शुरू के चार बैट्समैन आउट हो गए और एक ही... Read more
चापलूस-भलेमानुस की छवि बनाए रखना दुकानदारी की पहली शर्त है. एक दुकानदार को सफलता हासिल करने के लिए झूठमूठ हंसने और हेंहें करने की कला को साध लेना होता है. ग्राहक को कूड़ा भिड़ाना कोई आसान काम नहीं. एक बार लुट चुका ग्राहक बाद में कूड़े की शिकायत करने... Read more
“और डियर तू तो इंग्लैण्ड जाणी वाल छै बल” – इस ज़रा से कुमाऊनी वाक्य के विन्यास में सबसे ज़रूरी शब्द है – “बल”. यानी इस वाक्य को जो आदमी कह रहा है उसने किसी से सुना है कि सुनने वाला व्यक्ति निकट भविष्य में इंग्लैण्ड की यात्रा पर निकलने वाल... Read more
इस तस्वीर को ऊपर से नीचे तक गौर से देखे जाने की जरूरत है. सबसे ऊपर रेलवे की पटरी है. इसे बनाने में लगे लोहे की भी कहानी होगी. जमीन के भीतर से अयस्क निकाल कर उसे भट्टी तक पहुंचाने तक कई हाथों-कन्धों का श्रम लगा होगा. अयस्क को गलाने में लगे कोयले को नि... Read more
मेरे दादाजी बलशाली व्यक्ति रहे होंगे. हम छुट्टियों में गाँव जाते थे. दादाजी रात को किस्से सुनाते. हर पिछली शाम को घर लौटते समय उनका सामना गाँव की सरहद पर स्थित गुजरौ गधेरे में स्थाई रूप से रहने वाले किसी न किसी प्रेत-मसाण से हुआ होता. भटकी हुई ये आत्... Read more
एक. Irrfan Khan Remembered Ashok Pande एक टीवी शो में उसने कहा था – “एनएसडी में जाने से पहले मैं एक अंडे के भीतर था. मैं पैदा भी नहीं हुआ था. वहां दाखिला मिलने के बाद ही मेरा जीवन शुरू हुआ.” एनएसडी में दाखिला लेने के लिए नियम यह था... Read more
प्रेमपरकास अग्गरवाल का खानदान पिछली तीन पीढ़ियों से उस पहाड़ी कसबे में तिजारत कर रहा था. तनिक मुटल्ले प्रेमपरकास से मेरी स्कूल के समय से ही दोस्ती थी. उसके एक हाथ में छः उंगलियाँ थीं और उसका टिफिन हर रोज आलू से बने अकल्पनीय स्वादिष्ट व्यंजनों से भरा... Read more
तब धारचूला हमारे उत्तराखण्ड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ का आख़िरी स्टेशन हुआ करता था. आज से तीस-चालीस साल पहले तक वहां पहुंच पाना भी आम लोगों के लिए बहुत परेशानी भरा होता था जब यातायात के संसाधन कम थे और सड़कें कच्ची. नेपाल-तिब्बत सीमा से नजदीकी के कार... Read more
बीस साल तक दुनिया-जहान में तमाम धकापेल कारपोरेट नौकरियां करने के बाद मार्च की एक रात सिड कपूर को उसकी अंतरात्मा का टेलीफोन आया. सिड यानी सिद्धार्थ कपूर हर रात की तरह उस रात भी एक बड़ी पार्टी से पूरी तरह टुन्न होकर लौटा था. अमूमन वह घर आकर सोने से पहल... Read more
बचपन में चुंगी मिलने अपार आनंद याद आता है. वह जीवन के सबसे सुखद पलों में हुआ करता. हम बच्चे होते थे और घर पर किसी भी बड़े चचेरे-ममेरे भाई या उसके अन्तरंग दोस्त के आने की प्रतीक्षा रहती थी. (Childhood Nostalgia by Ashok Pande) अक्सर ये भाई और उनके दोस... Read more