देवभूमि उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला एवं मुनस्यारी तहसील क्षेत्र में रहने वाली जनजाति (मूलनिवासी) अपने क्षेत्र की अन्य जातियों द्वारा शौका नाम से जाने जाते हैं. माना जाता है कि जीवन में मनोविनोद के शौकीन होने के कारण इन्हें शौका कहा... Read more
रानीबाग यहां का एक पवित्र स्थान माना जाता है यहां एक पुराना चित्रेश्वर शिवालय के नाम से मंदिर है इस मंदिर को 25 जनवरी 1880 में रामगढ़ के चतुर सिंह द्वारा बनवाकर प्रतिष्ठित किया गया था यहां जसुली बूढ़ी की भी एक धर्मशाला है. Forgotten Pages from the Hi... Read more
पिछली कड़ी : समूचे दारमा गांव में महिलाओं को धर्मिक अनुष्ठानों में बराबर का अधिकार मिला हुआ है किलोमीटर भर समतल बुग्याल के बाद उतार आया तो बेदांग से आ रही बलखाती बिदांग गाड़ के दीदार हुए. नदी में बने पुल को पार करने के बाद अब मीठी चढ़ाई आ गई. कुछ पल स... Read more
पिछली कड़ी – छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : ये वादियाँ ये सदायें बुला रही हैं तुम्हें काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree अब सफर था कनालीछिना, असकोट, गर्जिया, बलुआकोट, कालिका होते धारचूला पहुँचने का जहाँ से जाएंगे पांगू औ... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जमीं चल रही, आसमां चल रहा काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree उल्का देवी मंदिर परिसर के ठीक नीचे वन विभाग के रेस्ट हाउस और प्रशासन के आवासीय छोटे क्वार्टरों से नीचे उतरते आता है पिथौ... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree ‘बाहर का कमरा उत्सुक और प्रसन्न चेहरों से अट जाता है. कोई अपने घर से बनी च्यक्ती (स्थानीय शराब) लाया है, कोई कुछ मीठा पकवान. दुनिया-जहान की बातें होती हैं. अचानक एक महिला उन्हीं दिनों... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree कुमाऊं के दो पुराने अश्व मार्ग काठगोदाम-अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ और टनकपुर-चम्पावत-पिथौरागढ़ साठ के दशक तक आम लोगों द्वारा खूब प्रयोग किये जाते थे. इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि जोहार औ... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree सृष्टि के आरंभ में पृथ्वी (भूमि) के चारों ओर जल ही जल था. सारी पृथ्वी जलमग्न थी. चारों ओर शोर ही शोर था जल में आलोड़न-विलोड़न, घात-प्रतिघात हो रहा था. आकाश और जल के बीच चारों ओर उत्ता... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree ऐतिहासिक स्तर पर कुमाऊं के ‘संस्कृतीकृत नाम ‘कूर्मांचल’ का सर्वप्रथम अभिलेखीय उल्लेख चम्पावतस्थ नागमंदिर के अभिलेख में पाया जाता है. पौराणिक परम्परा के अनुयायी लोग इ... Read more
पिछली कड़ी – छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : नैन बिछाए बाहें पसारे तुझको पुकारे देश तेरा हाथ में थामे कैमरा उस विहंगम दृश्यावली को मैंने खींच लिया जिसमें पंचचूली की पांच चोटियां दमक रहीं थीं. नीले आसमान से चिपकी हुई दुग्ध धवल सम्मोहित करती. कहीं कोई बाद... Read more