क़रीब साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित नामिक ग्लेशियर से निकलने वाली जलधारा अपने साथ कई और धाराओं को समेट जब नामिक-कीमू गांव के पाँव पखारते हुए आगे बढ़ती है तो जैसे पल-पल अपनी सामर्थ्य काअहसास कराती है. इठलाती ही यही नदी रामगंगा(पूर्वी) कहलाती ह... Read more
मानव सभ्यता की बसावट के साथ ही अल्मोड़ा का अपना पृथक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व रहा है. लाखू उडियार, फलसीमा, कसार देवी जैसे शहर के निकट के ही के प्रागैतिहासिक स्थल मानव सभ्यता की बसावट को लेकर अल्मोड़ा शहर की ऐतिहासिकता का दर्शाते हैं. मा... Read more
महेन्द्रचंद (1788-91) चंद राजवंश का अंतिम शासक था. सन् 1791 में गोरखों के साथ हुए हवालबाग युद्ध पराजित होकर कुमाऊँ में गोरखों का शासन प्रारम्भ हुआ. अब यहां सवाल है कि गोरखे कुमाऊँ में 1790 में आये अथवा 1791 में तो इसका जवाब हम बद्रीदत्त पाण्डे की पुस... Read more
उत्तराखण्ड के इतिहास में यदि हम समाज को देखना शुरू करते हैं तो पाते हैं कि वर्तमान भेदभाव पूर्ण नितियां या वर्तमान जाति व्यवस्था का आंकड़ा यही कोई 4-5 सौ सालों पहले फिट बैठाया गया होगा. वीर भड़ों के रूप में कहें या पद/स्थान नामों से इसके प्रचलन का पत... Read more
सावन का महीना और आप यदि सीमांत के किसी गाँव मे जाते हैं तो हर घर में एक ही चीज आम होगी वो है, हर घर के दरवाजे और खिड़कियों में लगे काटें और बिच्छू घास की टहनियां. ये किसी भी नये व्यक्ति के किये कौतूहल हो सकता है पर सीमांत के लिए ये एक परम्परा है जो... Read more
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के निवासी सुखदेव पांडेय 1893 देहरादून में जन्में. मदन मोहन मालवीय के प्रिय शिष्य सुखदेव पांडेय गणित और भौतिकी ज्यामिति की 4400 शब्दों की शब्दावली लिखी. बीजगणित तथा त्रिकोणमिति की पुस्तकों का प्रणयन कर ख्याति पाने वाले सुखदेव... Read more
1815 में गोरखों को पराजित कर अंग्रेजी शासन की नींव उत्तराखण्ड में रख दी गई. गोरखा-ब्रिटिश युद्ध 1814 से 1816 के मध्य चला तथा इस युद्ध के समय भारत के गवर्नर जनरल फ्रैंसिस रॉडन हेस्टिंग्स था जो इस पद पर 1813 से 1823 तक रहा. हेस्टिंग्स द्वितीय अर्ल ऑफ ... Read more
ले गुड़ खा, साल भर सांप-कीड़े नहीं दिखेंगे कहकर सुबह ही ईजा देशान* में गुड़ दे दिया करती थी और मैं बड़ी उत्सुक्तावस गुड़ खाते हुए उठता था कि आज कहाँ धमाका होने वाला है. धमाका दरअसल हर बैशाखी को हमारे क्षेत्र में होता था, हम तो छोटे थे पर दीदी, ददा, औ... Read more
गढ़वाली चित्र शैली के प्रमुख आचार्य, कुशल राजनीतिज्ञ, कवि, इतिहासकार मौलाराम का उत्तराखण्ड के इतिहास में अद्वितीय, अविश्वमरणीय योगदान है. इनको सर्वप्रथम प्रकाश में लाने का श्रेय बैरिस्टर मुकुन्दीलाल को जाता है. 1908 में जब मुकुन्दील... Read more
पिछली कड़ी : पिथौरागढ़ जिले का नामकरण प्रथमतः पिथौरागढ़ के नामकरण को पढ़ने के बाद अब उसकी प्राचीनता की ओर बढ़ते हैं. पिथौरागढ़ को सोर घाटी कहा जाता है यहां यह जान लेना भी उचित होगा कि आखिर ये सोर नाम की उत्पत्ति कैसे हुई? इसके सम्बन्ध में भी कुछ मत प्र... Read more