गढ़वाली और हिन्दी के कालजीवी कहानीकार स्वर्गीय भगवती प्रसाद जोशी ‘हिमवन्तवासी’ का जन्म 17 अगस्त, सन् 1927 में जोश्याणा, पैडुलस्यूं, पौड़ी (गढ़वाल) में हुआ. ‘हिमवन्तवासी’ सरकारी अधिकारी रहे और जीवन भर स्वतंत्र लेखन करते रहे. बचपन में लिखी कहानी ‘कुणाल... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree जब शिवानी जब पहली-2 बार ससुराल आई तो ऐसी थी, जैसे कि हिसर (एक पहाड़ी मीठा खूबसूरत फल) की डली सी. पानी से भी पतली. धुएं से भी हल्की. जो जमीन पर भी न ठहरती! न ही हाथों से थमती. गोल मटोल... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree उन सम्मोहक और छलछलाते हुए कामरस से ओत-प्रोत दिव्य नारी स्वरूपों को आप कहेंगे जो किसी सुरम्य शिखर और पुष्पित उपत्यका, शांत सरोवर या गिरिवन में प्रकट होकर किसी सुन्दर युवक का अपहरण कर ग... Read more
उत्तर रेलवे के कोटद्वार स्टेशन से 42 कि०मी० पुरातन शहर दुगड्डा से 27 कि०मी० उत्तर में 136 पुरानी छावनी युक्त एक छोटा किन्तु सुन्दर नगर लेन्सडौन लगभग 1780 मी० की ऊंचाई पर बसा है. लैन्सडोन का समस्त गढ़वाल के जनजीवन से एक अटूट सम्बन्ध है. स्वतंत्रता से... Read more
अल सुभह गांव के चौराहे वाले चबूतरे पर ननकू नाई उकड़ूं बैठकर अपने औजारों की सन्दूकची खोजने ही जा रहा था कि मिट्ठू आन पहुंचा.(Story by Bhagwati Prsaad Joshi) – राम-राम ननकू भाई – राम राम भाई मिट्ठू, बोल कोई काम? – बाल बनवाने हैं मूंड... Read more
बैंगनी, भूरे और नीलम पहाड़ियों के बीच रूपा नदी ने एक सुरम्य घाटी बना दी थी. हरे-भरेधान के खेतों के मध्य एक छोटा सा सुंदर गांव, नाम था देवी सैंण. आधुनिकता तथा कृत्रिम वातावरण से दूर लगता. कलयुग का अर्थ पिचाश वहां अभी नहीं पहुंचा था. सर्वत्र सतयुग का र... Read more
अपने भाग्य पर आंशू बहती पौड़ी उत्तर प्रदेश के बारह प्रशासनिक मण्डलों में एक से एक गढ़वाल मंडल का मुख्यालय है पौड़ी गढ़वाल मंडल से पर्यटक, यात्री और पर्वतारोही उसकी गंगा यमुना सी महान नदियों के मातृलोक (मायके) बदरी केदार सरीखे धाम, भारत के सर्वोच्च हि... Read more
‘‘…. मेरा जीवन संघर्षमय रहा. ऐसा नहीं है कि जीवन-यात्रा की शुरुआत के लिए मुझे किसी चीज की कमी रही हो. लेकिन मार्गदर्शन और संपर्क साधनों की हमेशा कमी रही. इसलिए मुझे स्वयं भटकते हुए इस संघर्षमय जीवन-पद्धति में आगे बढ़ने के लिए रास्ता ढूंढना पड़ा... Read more
सबकी अपनी जीवन कहानी होती है और सबका अपना संघर्ष होता है, सबके अपने सौभाग्य और सफलताएं होती हैं, तो अवरोध और असफलताएं भी. फिर भी हर जीवन अपने जमाने से प्रभावित होता है. अनेक जीवन अपने जमाने को जानने और बनाने में बीत जाते हैं और उनके जीवन को जमाना यों... Read more
अब ताला क्या लगाना!तो क्या कोठरी खुली ही छोड़ दे?असमंजस में वह बंद दरवाजे के सामने खड़ा रह गया. (पृष्ठ-9) ‘दावानल’ उपन्यास की उक्त शुरूआती लाइनों में व्यक्त लेखक नवीन जोशी का असमंजस व्यवहारिक जीवन में भी अभी तक ज्यों का त्यों है. उनका ही क्यों हम-सब... Read more