तुम्हारी निश्चल आंखेंचमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश मेंप्रेम पिता का दिखाई नहीं देताईथर की तरह होता हैजरूर दिखायी देती होंगी नसीहतेंनुकीले पत्थरों-सी दुनिया भर के पिताओं की लम्बी कतार मेंपता नहीं कौन-सा कितना करोड़वां नम्बर है मेरापर बच्चों के... Read more