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1 Comments

  1. हिमांशु बी जोशी

    यह बहुत ही दयनीय स्थिति है। एक तरफ सरकार संस्कृति-संस्कृति का रोना रोती रहती है वहीं हॉल बंद करवा रही है, संस्कृति मंत्रालय की ग्रांट बंद करवा रही है। पर दूसरी तरफ अपने लोगों को अलग-अलग स्त्रोतों से धन आबंटित भी कर रही है। संस्कृति मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर पीएफएमएस नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है उसे समझना बड़े ही झमेले का काम है, उसे पैसा लेकर सिखाया जा रहा है। नही सीखो तो सरकारी कोई मदद नहीं मिलेगी। रचनात्मकता गई तेल लेने, कलाकर अब हाथ मे कटोरा लेने की स्थिति में आ गया है। जो आवाज़ उठता है वो पहले से घोषित देशद्रोही है।

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