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2 Comments

  1. Anonymous

    जी, प्रस्तुत काफल ट्री के नियमित पाठकों में से एक होने व आपके रोचक और संग्रहणीय लेखों के लिए सर्वप्रथम आपको बहुत बहुत धन्यवाद..
    लेकिन क्षमा कीजिएगा, मुझे कुछ अनुमान व धुंधला-धुंधला देखा-सुना सा लगता है कि लाल रंग ढांक के सूखे फूलों से तैयार किया जाता था। मेरा अनुमान क्षेत्रीय विविधताओं से भिन्न भी हो सकता है।

  2. Girish Lohani

    सही कहा आपने शुरुआत में ढांक के फूलों का ही प्रयोग किया जाता था. लेकिन रंग पक्का न रहने के कारण बाद में ढांक के स्थान पर सुहाग का प्रयोग किया जाने लगा. जानकारी जोड़ने के लिये आपका शुक्रिया मित्र.

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