ग्यारह सितंबर का एक फोटोग्राफ़
Posted By: Girish Lohanion:
ग्यारह सितम्बर का एक फ़ोटोग्राफ़वे कूद रहे थे जलती मंजिलों सेएकदोकुछेक और- कुछ ऊपर थे, कुछ नीचेएक फोटोग्राफ़र ने उन्हें दर्ज़ कर लिया हैजब वे जीवित थेधरती के ऊपरधरती तक पहुँचते हुए -हर आदमी सा... Read more
क्योंकि ऐसा बस नफ़रत ही कर सकती है
Posted By: Girish Lohanion:
नफ़रत –विस्वावा शिम्बोर्स्का देखो कितनी सक्षम है यह अब भीबनाए हुए अपने आप को चाक-चौबन्द –हमारी शताब्दी की नफ़रत. किस आसानी से कूद जाती है यहसबसे ऊंची बाधाओं के परे.किस तेज़ी से दब... Read more
Popular Posts
- ‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा
- पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
- पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
- ‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
- उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
- नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
- आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी
- स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध