उन दिनों उत्तराखंड का अल्मोड़ा शहर बहुत फैला हुआ नहीं था. आबादी भी कम थी. यही कोई 35 हजार से कुछ ज्यादा. वर्ष 1568 में अल्मोड़ा शहर बना. कुमाऊं डिविजन का यह शहर अब भी उतना ही खूबसूरत है, जित... Read more
तब हम रानीधारा की सड़क में दौड़ लगाते थे. दस बारह वर्ष के रहे होंगे या चौदह-पन्द्रह के. सन 1940 से 1945 तक का समय था. धीरेन्द्र उप्रेती, मोहन पांडे और मैं और हरी-भरी दूर्वादल से ढंकी पैदल सड़क.... Read more
Popular Posts
- आत्म-विश्वास कैसे बढ़ाएं
- शिक्षा, साहित्य, पर्यटन और संस्कृति का उत्सव ‘नानकमत्ता किताब कौतिक’
- शरद में बिनसर : फोटो निबंध
- ‘द्वाराहाट’ उत्तराखंड के इतिहास की एक रोशन खिड़की
- महाभारत में बदरीनाथ धाम
- कलर्स ऑफ होप सीजन-2 के 12 युवा कलाकार
- पहाड़ी उत्पादों का सबसे विश्वसनीय ब्रांड आजकल ‘दिल्ली हाट’ में
- झंगोरा, मडुआ और माल्टा समेत उत्तराखंड के 18 उत्पादों को जीआई टैग
- अल्मोड़ा में पारंपरिक जल स्रोतों के मध्य नगर का एकमात्र कुआँ
- कैसे करें लक्ष्य निर्धारित और कैसे उन्हें पाएं
- 80 करोड़ रुपये खर्च कर पहाड़ के हिस्से कुछ न आया : इन्वेस्टर्स समिट 2018
- रानीखेत और अल्मोड़ा की बरसों पुरानी तस्वीरें
- नानकमत्ता किताब कौतिक की रपट
- हिमालय टूट सकता है लेकिन झुक नहीं सकता
- कौसानी में माल्टा की बहार : फोटो निबंध
- छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जमीं चल रही, आसमां चल रहा
- कालीमठ यात्रा वृतांत
- इस तरह से बनाए जाते हैं परंपरागत ऐपण
- हिमालय प्रेमी घुमक्कड़ों और शोधार्थियों के लिए एक जरूरी यात्रा-किताब
- चंद्रमा संग हिमालय : फोटो निबंध
- ईजू की नराई लागी, भाई की काँकुरी
- अद्भुत है बागेश्वर का यह गुफा मंदिर
- उत्तराखंड की सबसे दानवीर महिला की कहानी
- फील्ड मार्शल मानेकशॉ से सीखो सच्ची लीडरशिप
- सिलक्यारा सुरंग हादसे में हमने विज्ञान की क्षमता और सीमा को देखा और समझा