पहाड़ी से उतरती एक कच्ची सड़क ने हमें फ़ेस्टिवल के वेन्यू पर लाकर छोड़ दिया. किसामा नाम के इस विरासती गाँव की रौनक़ देखने वाली थी. एक पहाड़ी पर बनी सीमेंटेंड पगडंडी के इर्द-गिर्द बांस से बनी... Read more
दारमा घाटी: स्वर्गारोहण के दौरान जहां पांडवों ने पांच चूल्हे लगाकर अंतिम भोजन बनाया
दारमा घाटी की ख़ूबसूरती की व्याख्या शब्दों में कर पाना बहुत कठिन है. इन तस्वीरों को देखकर आप महसूस कर सकते है कि वहाँ पहुँच कर प्रकृति के इन रंगों को अनुभव करने से मन को कितना सुकून मिलता हो... Read more
छिपला जात में स्वर्ग जाने का रास्ता
छिपला के दक्षिणी ढाल में भैमण गुफा में सभी यात्री अँधेरे में ही जाग कर आगे की यात्रा के लिए चल पड़े. हम इस लम्बी कतार में कहीं बीच में थे. गुफा के भीतर बुग्याल की नर्म घास बिछी थी लेकिन जैसे... Read more
कनार में भगवती कोकिला के मंदिर में रात बिताने के बाद हम भुप्पी के घर मेहमान बने. कल हमने उनके फटे झोले को सिला था आज उन्होंने हमारी भूख को. यहाँ पर अपने पर्स, बेल्ट और कुछ गैर जरूरी सामान को... Read more
मलैनाथ की कथा में छिपलाकोट से भागश्री को भगा लाने का बड़ा ही रोमांचक प्रसंग आता है. मलैनाथ सीराकोट के थे और छिपला कोट यहाँ से सामने उत्तर दिशा में दिखता. दोनों के बीच में घणधूरा का विशाल और... Read more
कौसानी से देवगुरु का दिलचस्प सफ़र
सुबह- सुबह जब हम कौसानी से निकले तो कोई अनुमान न था कि आज का दिन कितना लम्बा होगा. कल रात हमने सहृदय मित्रों की बदौलत आलीशान मखमली ग्रेवी वाली अंडाकरी जीवन में पहली बार पेट में उतारी और बादल... Read more
आखिरी गाँव में जबरदस्त जीवट की अकेली अम्मा
धरती गोल है और गोले में कोई बिंदु आखिरी नहीं होता. अक्सर आखिरी पहला हो जाता है. हिमालय की घाटियों में बहुत से गाँव आखिरी गाँव कहे जा सकते हैं. सबसे मशहूर आखिरी गाँव माणा है. लेकिन जैसा कि मै... Read more
इटली के रोम में पहाड़ की लड़की
रोम पहुंचते ही सबसे पहली बात ये पता लगी कि यहाँ के लोगों के लिए ये ‘रोमा’ है. एयरपोर्ट से लेकर बस तक, दीवारों मे, इश्तिहारों में सब जगह ‘रोमा’ लिखा है वो भी बड़ा-बड़ा. इसलिए रोमा में आपका स्... Read more
दारमा घाटी के गो गाँव में खलनायक
आठ दिन हो गए बारिश को. बीच में आधे दिन के लिए रुकी थी पर तीन दिन से तो एक मिनट के लिए भी आसमान ने आराम नहीं किया. सुबह तिदांग से मारछा को निकल तो गए लेकिन लसर यांगती पर बने पुल को देखकर हवा... Read more
समधी के ओड्यार में तीन रातें
हमें घर से निकले पांच-छह दिन तो हो ही गए होंगे और पिछले चार दिन से बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी. जिस दिन से हम कनार से ऊपर चले तब से मानो असमान हमसे नाराज हो गया. पहले दिन हमने कनार से... Read more
Popular Posts
- अल्मोड़े के अष्टावक्र हरीश चंद्र जोशी
- पेट को फ्लैट और फौलादी बनाने के तरीके
- उत्तराखंड मूल के कैप्टन राम सिंह ने कम्पोज़ किया था आजाद हिन्द फ़ौज का कौमी तराना
- गन्ज्याड़ू: पथरीले पत्थरों के बीच उगने वाले पहाड़ी पेड़ के वजूद की दास्तां
- दांत दर्द का ठेठ पहाड़ी ईलाज
- लोक तंतर में पुलिस मंतर
- मुगल शासकों को लगता था कुमाऊं में मिट्टी धोने से सोना निकलता है
- पमपम बैंड मास्टर की बारात
- नदी, मुन्ना और वो काला पत्थर
- पिथौरागढ़ के अनछुये इतिहास के किस्से और प्रभात उप्रेती का आत्म-साक्षात्कार
- शान्ति बुआ की अन्तिम यात्रा
- इस साल मकर संक्रांति के दिन कौवे रूठे नज़र आये
- पहाड़ में सैणियों का प्रिय कमर का पट्टा
- अलेक्जैन्ड्रा डेविड-नील: तिब्बत पहुँचने वाली पहली विदेशी औरत
- भुकुंट भैरव: जिनके दर्शन बिना अधूरी है केदारनाथ यात्रा
- वर्ल्ड स्नो डे पर देखिये उत्तराखंड में बर्फबारी की तस्वीरें
- भारत के सबसे ‘अ’ लोकप्रिय मुख्यमंत्री
- पेट को फ्लैट और फौलादी बनाएंगे ये आसन
- 20 साल बाद भी सुविधाओं से वंचित हैं पहाड़ी गाँव
- बारिश में दो सहेलियों का पहाड़ी सफ़र
- औली: हमारा अपना स्विटजरलैंड
- लोक वाद्य बनाने और बजाने का प्रशिक्षण देने वाली कार्यशाला
- मनुभाई और उनका मनसुख
- आज से एक महीने तक घी से ढका रहेगा जागेश्वर ज्योतिर्लिंग
- आज के दिन सौ साल पहले बागेश्वर की फ़िजा गर्म थी