इस लम्हे से पहले जो हुआ सब भूल जा
यह बात ज्यादातर लोगों को बहुत नागवर लगेगी और बहुत क्रूर भी लेकिन हर पल बिना किसी दुख का, एक नया और बच्चों जैसे भोलेपन से भरा, आनंद और उत्साह से लबरेज जीवन जीने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम... Read more
जीवन में पारदर्शिता ले जाएगी तनावों से पार
छात्र जीवन में मेरा एक सहपाठी था, जिसके पिता किसान थे और शहरी मानदंडों के हिसाब से गरीब. वह सहपाठी गांव के स्कूल से बारहवीं करने के बाद कॉलेज में आया था और कॉलेज की आबोहवा से बहुत प्रभावित... Read more
सिकंदर की तृष्णा और दार्शनिक फकीर डायोजनीज
सिकंदर यानी अलेक्जेंडर तृतीय के बारे में तो हम सबने सुना ही है कि वह मेसीडोनिया यानी मकदूनिया, जो कि आज के जमाने का ग्रीस है, का सबसे ताकतवर सम्राट था. वह उस वक्त की जानकारी के मुताबिक जितनी... Read more
बबूल बोओगे, तो आम कहां से खाओगे
जिन लोगों ने भौतिक विज्ञान पढ़ा है, वे न्यूटन के गति के तीसरे नियम से अवश्य परिचित होंगे. तीसरा नियम क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम है. इस नियम के मुताबिक जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल का प्रयोग... Read more
दुखी रहना कहीं आपकी आदत तो नहीं बन गया है
थोड़ा-सा अटपटा तो लग सकता है, पर सच यही है कि हम अपनी मर्जी से ही दुखी होते हैं. कोई हमें दुखी होने को कहता नहीं. और असल में दुखी होने की कोई वजह भी नहीं होती, क्योंकि दुख तो आपके सोचन... Read more
सुन्दर चन्द ठाकुर के कॉलम पहाड़ और मेरा जीवन – अंतिम क़िस्त (पिछली क़िस्त: मैं बना चौबीस रोटियों का डिनर करने वाला भिंडी पहलवान) हमारे समय में बीएससी दो साल का होता था. 1989 में जिस वर्ष मैं... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 66 (पिछली क़िस्त: और यूं एक-एक कर बुराइयां मुझे बाहुपाश में लेती गईं जिम शब्द का इतना अधिक इस्तेमाल होता है कि अब हिंदी का ही शब्द लगता है. इस्तेमाल इसलिए होता है क्योंक... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 66 (पिछली क़िस्त: वो शेर ओ शायरी, वो कविता और वो बाबा नागार्जुन का शहर में आना एक बहुत ही लंबा बेवकूफी भरा और ईगो से संचालित जीवन जी लेने के बाद अब जाकर मैं हर तरह के नश... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 57 (पिछली क़िस्त: बारहवीं में दसवीं के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा यूं कमाए मैंने पैसे) मुझे जैसी याद दसवीं की बोर्ड परीक्षाओं की है, वैसी बारहवीं की परीक्षाओं की नहीं है. बोर... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन- 56 मैं विद्यार्थी जीवन के दौरान और बाद में भी कई बार पैसों को लेकर थोड़ी तंगी में जरूर रहा, पर मैंने कभी पैसों की बहुत ज्यादा परवाह की हो, मुझे याद नहीं. उस लिहाज से देख... Read more
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