Home Subedar Balbhadra Singh Negi
‘जिस अंचल में बलभद्र सिंह जैसे वीरों का जन्म होता है, उसकी अपनी अलग रेजीमेंट होनी ही चाहिए.’ कमान्डर इन चीफ, पी. रोबर्टस ने सन् 1884 में तत्कालीन गर्वनर जनरल लार्ड डफरिन को गढ़वालियों की एक... Read more
Popular Posts
- छिपलाकोट अंतर्कथा : मुझे एक जगह आराम नहीं, रुक जाना मेरा काम नहीं
- उत्तराखंड में भादो अष्टमी और सातों-आठों का लोकपर्व
- सातों-आठों से जुड़ी गौरा-महेश्वर की कथा
- अनुपमा का प्रेम
- लोकपर्व सातों-आठों पर कही जाने वाली कथा
- सातों-आठों में आज घर आयेंगी गौरा दीदी
- वह एक प्रेम पत्र था
- लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला को नमन
- सातों-आठों में गाये जाने वाले गीत और परम्पराएं
- घ्यूं त्यार क्यों मनाया जाता है
- मक्खी और शेर की लड़ाई : लोककथा
- पकवानों की सुंगध से सराबोर रहेंगे आज पहाड़ियों के घर
- आज बिरुड़ पंचमी है
- सातों-आठों के लिये आज भिगाते हैं बिरुड़े
- कुमाऊं-गढ़वाल से आजादी की लड़ाई की दुर्लभ तस्वीरें
- बिश्नु : पहाड़ की कहानी
- उत्तराखंड की सड़कों पर बॉबी कटारिया की दादागिरी
- अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन ने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को दिलाया गोल्ड मेडल
- ऐसे होती है पारम्परिक कुमाऊनी शादी
- सावन के आखिरी सोमवार पर जागेश्वर धाम की तस्वीरें
- ‘कल्पेश्वर महादेव’ जहां भगवान शिव के जटा रूप की पूजा होती है
- संगज्यु और मित्ज्यु : कुमाऊं में दोस्ती की अनूठी परम्परा
- कॉमनवेल्थ गेम्स में छाई उत्तराखंड की स्नेह राणा
- आदमखोर बाघ और यात्री : पहाड़ी लोककथा
- तीसमारखां : नवीन सागर की कहानी