पहाड़ों को भी समझें अपना घर : रस्किन बॉन्ड
मैं पिछले छः दशकों से मसूरी में रह रहा हूँ. मसूरी में न होता तो शायद मैं इतना लिख भी नहीं पाता. सही मायनों में इन वादियों ने मेरे अन्दर के लेखक को बड़ा विस्तार दिया. मेरा जन्म कसौली में हुआ.... Read more
पहाड़ी बारिश की ध्वनियां
रात भर बारिश टिन की छत को किसी ढोल या नगाड़े की तरह बजाती रही. नहीं, वह कोई आंधी नहीं थी. न ही वह कोई बवंडर था. वह तो महज मौसम की एक झड़ी थी, एक सुर में बरसती हुई. अगर हम जाग रहे हों तो इस ध... Read more
पहाड़ मेरे लिए माँ की गोद जैसा है
मसूरी और देहरादून के नामों के साथ रस्किन बांड (Ruskin Bond Writer Birthday ) का नाम लम्बे समय से जुड़ा रहा है. एक लम्बे अरसे से वे देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखकों में शुमार हैं. मसूरी म... Read more
द नेम इज़ बॉन्ड, रस्किन बॉन्ड
जो भी मसूरी आता है, उनके बारे में पूछता है, कहां रहते हैं, कैसे दिखते हैं और यहां तक कि लोग सीधे उनके घर तक चले आते हैं. 76 साल की उम्र में भी रस्किन बॉन्ड को लेकर एक दीवानगी सी है. उनकी शख्... Read more
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