बोलने वाला शायर बनने का मंतर
“क्या हुआ चचा जान? बड़े बेउम्मीद-बेसहारा से दिख रहे हो!”(Shayar Satire by Priy Abhishek) “यार, शेर लिख-लिख कर मर गया; कोई रिस्पांस नहीं आता. कुछ मदद करो.” भोगीलाल कंसल्टेंसी के दर पर आज हाजी... Read more
बनारस. कल बनारस के लंका थाना क्षेत्र में पुलिस ने छापा मारकर अवैध कविता बनाने का कारखाना पकड़ा. मौके पर कविता बनाने की मशीन, और अनेक कवियों के फोटो युक्त रैपर भी बरामद किये गए. जिन पर फोटो क... Read more
शहीद दिवस से नाथूराम स्मरण दिवस तक की यात्रा
“हर बार मुख्य अतिथि बनने वाले मुख्य अतिथि महोदय, अध्यक्षता के लिए मरे जा रहे अध्यक्ष जी, उपस्थित सखाओं और सखियों! आज तीस जनवरी है. आज का दिन हम नाथूराम स्मरण दिवस के रूप में मनाते हैं. बहुत... Read more
इंद्रसभा के आमंत्रण षड्यंत्र होते हैं
“अरी ऐरी आली!”(Satire by Priy Abhishek 2021) “हाँ सखी!” “आली, पूछ न क्या गजब हुआ उस दिन!” “क्या हुआ सखी, बता तो ज़रा?” “अरी इंद्रसभा का आमंत्रण था…” “हाय दैया, इंद्रसभा का?” “हाँ आली,... Read more
चुपचाप समय काट लो
“तो हुआ यूँ कि प्रभु दत्तात्रेय के निर्देश पर चित्रगुप्त भगवान् ने श्रीमदभागवत में अमेंडमेंट कर चौबीस गुरुओं में पच्चीसवें गुरु ‘गर्दभ’ को जोड़ेने का प्रस्ताव इंद्र की सभा... Read more
सालों पुराना नुस्खा: छोटा कैनवास
“साहिबान, गाड़ी आपकी चलने वाली है. आपका ध्यान चाहूँगा. बस दो मिनट लूँगा आपका.साहब, कई बार कविता सुनते हैं, उसको पचा नहीं पाते. खुद की कविता लिखने की इच्छा होती है, जिससे अपच बढ़ जाती है. क्र... Read more
प्रथम संस्करण की प्रस्तावना
प्रथम संस्करण की प्रस्तावना लिखते हुए मुझे उतना ही हर्ष हो रहा है जितनी मेरे साथी साहित्यकारों को प्रस्तावना पढ़ते हुए ईर्ष्या होगी. प्रस्तावना में मैं सर्वप्रथम आपको बताऊँगा कि जो मैंने लिख... Read more
कोऊ न जानत कवि की पत्नी के मन की पीर
“कब से ऐसा महसूस हो रहा है?” “ये क्या बकवास है? अरे इसमें महसूस जैसा क्या है, मैं हूँ कवि, तो हूँ.” “मैं आपसे नहीं, आपकी पत्नी से पूछ रहा हूँ.” “अरे डाक्साब,पहिले तो... Read more
एक गुच्छा बयंगकार के साथ ढाई किलो कबि
“कवि हैं, अच्छे वाले?” “बहिनी कौन सा, नया, कि पुराना?” “भैया पिछली बार पुराने कवि ले गई थी, सब मीठे निकल गए. इस बार नया दो.” “कितना तौलूँ?”... Read more
क्या हम इतने बुरे थे
कल कमाल हो गया. हम लिखते और देखते ही रह गए और हमारा मित्र अमर हो गया. कल आलोचक जी ने उसको भर-भर के गालियां दीं. ऐसी गालियां जिनकी साहित्यकार केवल तमन्ना ही कर सकते हैं. न जाने कितने लेखक-कवि... Read more
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