आउट ऑफ सिलेबस
कभी-कभी ज़िंदगी में अपने जैसे किसी अन्य व्यक्ति से मुलाकात हो जाये तो बड़ी कठिनाई उत्पन्न हो जाती है. आज सुबह छोटी बुआ के बेटे से फोन पर बात हुई. “अनिमेष कैसे हो?” मैंने पूछा. “ठीक हूँ दादा.... Read more
कोतवाल के हुक्के की एफआईआर
“देख शेखू ये बात कुछ ठीक नहीं लग रई!” कार्यक्रम शुरु हुए आधा घण्टा हुआ था और मुझे शेखू दुबे से कही गई अपनी बात रह-रह के याद आ रही थी. तब शेखू दुबे ने कहा था- फिकर की कोई बात न है. पर अब फ़िक... Read more
पीएचडी का स्टॉकहोम सिंड्रोम
प्रश्न “पीएचडी का प्राप्य स्टॉकहोम सिंड्रोम है.” प्रियोस्की के इस कथन के प्रकाश में पीएचडी के विभिन्न चरणों की व्याख्या करिये. (60अंक)(PhD Stockholm Syndrome) उत्तर भारत एक महान देश है. यहाँ... Read more
वरिष्ठ व्यंग्यकार की आवश्यकता है
“अरी ऐ री आली!” “हाँ, सखी बोल!” “आली…” “सखी तू किंचित सी चिंतित प्रतीत होती है.” “किंचित नहीं आली, अत्यंत. अत्यंत चिंतित हूँ. अत्यंत विचलित हूँ. क्षिप्त हूँ, मूढ़ हूँ, विक्षिप्त हूँ.” “हाय,... Read more
सोशल मीडिया वीरता पुरस्कार वितरित
नई दिल्ली. कल राष्ट्रपिता भवन में आयोजित समारोह में सोशल मीडिया वीरता पुरस्कारों का वितरण किया गया. युद्ध काल का सर्वोच्च सम्मान, सोशल परमवीर चक्र, लांस नायक पकड़ सिंह (मरणोपरांत) को दिया ग... Read more
नियति निर्देशक की कारिस्तानी
ये मई का महीना है. साल है दो हज़ार इक्कीस. इस वक़्त भारत में लॉक-डाउन लगा हुआ है. मैं घर में हूँ, और कर्म गति पर चिंतन कर रहा हूँ. कबीरदास जी याद आ रहे हैं- करम गति टारे नाहिं टरी.(Satire by... Read more
दुर्लभ प्रजाति के पाठक बरामद
एजेंसी. कल ग्वालियर में एसटीएफ ने छापा मारकर रेयर प्रजाति के दो पाठक बरामद किए. पाठक, हुरावली पुलिया के नीचे बोरियों में छिपा कर रखे गए थे. इस सिलसिले में पुलिस ने ठेलेश पुत्र पेलेश को गिरफ़... Read more
यूँ ही मन लगा कर रियाज़ करते रहो
हर सुबह की तरह इस सुबह भी श्रीमतीजी और बच्चे बाथरूम के दरवाजे पर रुक कर, मुझे कुछ इस तरह देख रहे थे, जैसे राह चलते लोग रुक कर बन्दर का तमाशा देखते हैं. मैं गलगलिया की तरह मुँह ऊपर कर के कभी... Read more
सरसराना: प्रिय अभिषेक का चुटीला व्यंग्य
“क्या आप अपनी नौकरी से परेशान हैं? क्या आपको अपनी नौकरी में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है?(Sarsarana Satire by Priy Abhishek) क्या नौकरी के दौरान आप को यह महसूस होता है कि आप इस नौकरी म... Read more
वीर भोग्या वसुंधरा
शर्मा जी दिल से भगवान को याद कर रहे थे. दिल से मतलब सीधे दिल से. और अचानक भगवान प्रगट हो गये. पूछा, “बोलिये शर्मा जी क्या चाहते हो?”(Priy Abhishek Satire Veerbhogya Vsundhra) शर्मा जी ने कहा... Read more
Popular Posts
- कमजोर की मदद स्वयं ईश्वर भी नहीं करता : पहाड़ी लोककथा
- रोपाई और हुड़किया बौल
- उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली अभिनेत्रियां जो अदाकारी से ख़ास मुकाम हासिल कर चुकी हैं
- अनपढ़ पहाड़ी इंजीनियर झीम राम और उनके बनाये मेहराबदार पुल
- पिथौरागढ़ जिले के मंदिरों में बढ़ी चोरी की घटनाएं
- ठाकुर का कुआं
- उत्तराखंड की यह जगह फिल्मों में स्कूल और कॉलेजों की लोकेशन के लिए लोकप्रिय है
- छोटा राजन का सहयोगी हल्द्वानी निवासी दीपक सिसौदिया फरार
- पहाड़ी खेती : जलागम योजना के फलसफे
- बुद्धिमान कुत्ता : कुमाऊनी लोककथा
- कहानी : शिकार की जुगत
- यह कैसा सम्मान है उत्तराखंड के चैम्पियन मुक्केबाज का
- शैलेश मटियानी की कहानी ‘लाटी’
- संजीवनी बूटी की भूली कहानी
- बूबू और उनके बर्मा के किस्से
- शतरंज के खिलाड़ी
- बादलों में भवाली: भवाली की जड़ों को टटोलती किताब
- उत्तराखंड : आगम और व्यय की कदमताल
- कभी भूखा, कभी प्यासा भाग रहा पहाड़ी युवा पकड़ा गया
- पहाड़ी युवाओं के सपने की डगर को कठिन बना देगी ‘अग्निपथ योजना’
- फिल्मों में उत्तराखण्ड की अभिनेत्रियाँ
- टांडा फिटबाल किलब और पेले का बड़ा भाई
- सयानी बुआ : कहानी
- चांद और चकोर के प्रेम की कहानी: लोककथा
- आउट ऑफ सिलेबस