Home Poet Satire by Priy Abhishek
कोऊ न जानत कवि की पत्नी के मन की पीर
Posted By: Kafal Treeon:
“कब से ऐसा महसूस हो रहा है?” “ये क्या बकवास है? अरे इसमें महसूस जैसा क्या है, मैं हूँ कवि, तो हूँ.” “मैं आपसे नहीं, आपकी पत्नी से पूछ रहा हूँ.” “अरे डाक्साब,पहिले तो... Read more
एक गुच्छा बयंगकार के साथ ढाई किलो कबि
Posted By: Kafal Treeon:
“कवि हैं, अच्छे वाले?” “बहिनी कौन सा, नया, कि पुराना?” “भैया पिछली बार पुराने कवि ले गई थी, सब मीठे निकल गए. इस बार नया दो.” “कितना तौलूँ?”... Read more
वह कवि था घटना पर कविता लिख रहा था
Posted By: Girish Lohanion:
इस घटना से सभी चिंतित थे. पुलिस मौके की जाँच कर रही थी. पत्रकार मौके से रिपोर्ट कर रहा था. परिजन और पड़ोसी मौके पर दुखी थे. नेताजी जी मौके पर दुखी तो नहीं थे, पर मौके पर दुख व्यक्त कर रहे थे... Read more
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