तुम क्या समझोगे फिल्मों के लिए हमारा जुनून
तुम क्या समझोगे फिल्मों के लिए हमारा जुनून – दिनेश कर्नाटक आज के बच्चे और नौजवान फिल्मों के साथ हमारे रिश्ते को शायद नहीं समझ सकेंगे. वे नहीं समझ सकेंगे कि जवानी के दिनों में फिल्मों... Read more
टीचर्स डे स्पेशल : नकलची छात्र और दयालु मास्साब
तब यूपी सरकार का बहुचर्चित नक़ल अध्यादेश लागू नहीं हुआ था. हालाँकि जब यह लागू भी हुआ तो उस माहौल का कुछ नहीं बिगाड़ पाया जो उस वक़्त हुआ करता था. सरकारी स्कूलों में तब परीक्षाओं में नक़ल का ही स... Read more
कई वर्ष बाद आज गांव-घर आने का मौका मिला है. अब घर के नीचे खेतों तक मोटर रोड पहुंच चुकी है. यहां से उस पार, दूर पहाड़ पर माचिस की डिबियों-सी ओखलकांडा इंटरकालेज की इमारतें दिखाई दे रही हैं, उनस... Read more
डी एस बी कॉलेज के वे दिन
देवेंद्र मेवाड़ी लोकप्रिय विज्ञान की दर्ज़नों किताबें लिख चुके देवेन मेवाड़ी देश के वरिष्ठतम विज्ञान लेखकों में गिने जाते हैं. अनेक राष्ट्रीय पुरुस्कारों से सम्मानित देवेन मेवाड़ी मूलतः उत्तराखण... Read more
Popular Posts
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध
- बातें करके लोगों का दिल कैसे जीतें
- जंगल बचने की आस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
- सोशियल मीडिया में ट्रेंड हो रहा है #SaveJageshwar
- चाय की टपरी
- माँ जगदंबा सिद्ध पीठ डोलीडाना
- इस्मत चुग़ताई की कहानी : तो मर जाओ
- कहानी: रेल की रात
- भाबर नि जौंला…
- जनजाति विकास : मध्यवर्ती तकनीक, बेहतर भी कारगर भी