मां आज भी सभी सिक्कों को डॉलर ही कहती है
Posted By: Sudhir Kumaron:
ब्रह्म ने पृथ्वी के कान में एक बीज मंत्र दे दिया हैउसी क्रिया की प्रतिक्रिया मेंजब बादल बरसते हैं,तो स्नेह की वर्षा होने लगती हैऔर पृथ्वी निश्चल भीग उठती है.आज भी बादलों के गरजने औरधरती पर फ... Read more
आमा के जीवन की यादें मेरे लिए कहानी बन जाती थी
Posted By: Kafal Treeon:
वे घुमंतु नहीं थे और न ही बंजारे ही थे. वे तो निरपट पहाड़ी थे. मोटर तो तब उधर आती-जाती ही नहीं थी. हालांकि बाद में 1920 के आसपास मोटर आने लगी लेकिन शुरूवात में अधिकतर जनसामान्य मोटर को... Read more
Popular Posts
- कहानी: सूरज के डूबने से पहले
- कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
- कहानी: कलकत्ते में एक रात
- “जलवायु संकट सांस्कृतिक संकट है” अमिताव घोष
- होली में पहाड़ी आमाओं का जोश देखने लायक होता है
- पहाड़ की होली और होल्यारों की रंग भरी यादें
- नैनीताल ने मुझे मेरी डायरी के सबसे यादगार किस्से दिए
- कहानी : साहब बहुत साहसी थे
- “चांचरी” की रचनाओं के साथ कहानीकार जीवन पंत
- आज फूलदेई है
- कहानी : मोक्ष
- वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी : महिलाओं को समर्पित फ़िल्म
- मशकबीन: विदेशी मूल का नया लोकवाद्य
- एक थी सुरेखा
- पहाड़ी जगहों पर चाय नहीं पी या मैगी नहीं खाई तो
- भाबर नि जौंला: प्रवास-पलायन का प्रभावी प्रतिरोध
- बातें करके लोगों का दिल कैसे जीतें
- जंगल बचने की आस : सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
- सोशियल मीडिया में ट्रेंड हो रहा है #SaveJageshwar
- चाय की टपरी
- माँ जगदंबा सिद्ध पीठ डोलीडाना
- इस्मत चुग़ताई की कहानी : तो मर जाओ
- कहानी: रेल की रात
- भाबर नि जौंला…
- जनजाति विकास : मध्यवर्ती तकनीक, बेहतर भी कारगर भी