जाखन नाम की वह नदी सौरी के लोगों को सपनों में बहती हुई दिखाई पड़ती थी. उनके सपनों के बाहर जाखन एक पथरीले रपाट के रूप में सौरी के दक्षिणी ढलानों पर ठिठके साल-वृक्षों की अनमनी पुकार को अनसुना... Read more
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